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वियतनाम-भारत रिश्तों के बीच न आए चीन

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुलाकात के पहले ही भारत की यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि हर देश के साथ अलग-अलग रिश्ते होते हैं। वियतनाम और भारत के रिश्तों पर बीजिंग की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रणब ने कहा कि चीन को दोनों देशों के बीच नहीं पड़ना चाहिए।

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 08:11 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 08:11 PM (IST)
वियतनाम-भारत रिश्तों के बीच न आए चीन

आशुतोष झा (राष्ट्रपति के विशेष विमान से)

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुलाकात के पहले ही भारत की यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि हर देश के साथ अलग-अलग रिश्ते होते हैं। वियतनाम और भारत के रिश्तों पर बीजिंग की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रणब ने कहा कि चीन को दोनों देशों के बीच नहीं पड़ना चाहिए। उनके अनुसार भारत चीन के साथ और चीन भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है तो दोनों देशों के बीच किसी तीसरे मुद्दे को नहीं आना चाहिए। चीन और वियतनाम के बीच कुछ मुद्दों को लेकर चल रहे थोड़े तीखे संबंधों के बीच प्रणब का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है।

चार दिवसीय यात्रा के आखिरी दिन प्रणब वियतनाम युद्ध के दौरान प्रसिद्ध रहे कू ची सुरंग को देखने गए थे। वहां से वह सीधे भारत के लिए रवाना हुए। भारत पहुंचने पर उन्होंने अपनी यात्रा को सफल करार दिया है।

इससे पहले वियतनाम यात्रा पर अपना वक्तव्य जारी करते हुए प्रणब ने वियतनाम की खुलकर प्रसंशा की। विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान उसकी जीवन और इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि वियतनाम आज तेजी से प्रगति कर रहा है। वियतनाम और भारत के बीच तेल ब्लॉक को लेकर समझौते पर चीन की ओर उठने वाले सवालों पर राष्ट्रपति ने कहा, ओवीएल दक्षिण चीन सागर में 1988 से काम कर रहा है। इसे राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। प्रणब के मुताबिक दो देशों के संबंध स्वतंत्र रूप से होते हैं। इसमें तीसरे की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। जाहिर है चीनी राष्ट्रपति को भी उन्होंने परोक्ष रूप से संकेत दे दिया है कि भारत और चीन के रिश्ते किसी दूसरे मुद्दे से प्रभावित नहीं होने चाहिए। हालांकि प्रणब के बाद पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने यह स्पष्ट किया कि जिन सात तेल ब्लाक को लेकर समझौते हुए हैं, वह निर्विवाद रूप से वियतनाम के दायरे में हैं। लिहाजा वह भी आश्वस्त हैं कि चीन इस पर कोई आपत्ति नहीं करेगा।

एक अन्य सवाल के जवाब में प्रणब ने दोहराया कि नई सरकार के काल में आर्थिक मोर्चो पर बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि 2007 तक विकास की जो दर थी, वह 2008-09 के बाद गिरने लगी थी। केंद्र में चुनकर आई नई सरकार में सुधार हो रहा है। विदेशी निवेश की पूरी संभावना जगी है और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण है।

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