NSG में भारत की एंट्री में अभी भी बाधा है चीन, नहीं बदला रुख
एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर अब भी चीन अपने रवैये पर अड़ा है और इसके राह में रोड़ा अटका रहा है।
बीजिंग (जेएनएन)। एनएसजी में भारत के शामिल होने की राह में बाधक चीन अभी भी अपनी जिद पर अड़ा है। चीन ने सोमवार को अपने रुख में किसी तरह के बदलाव होने से इंकार करते हुए कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश पर वह अपना रवैया नहीं बदलेगा। एनएसजी में सदस्य के तौर पर शामिल होने के लिए भारत को चीन का समर्थन काफी आवश्यक है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ च्यूनयिंग ने बताया, ‘एनएसजी में गैर एनपीटी सदस्यों पर चीन का रवैया नहीं बदला है।‘ न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का अगला पूर्ण अधिवेशन अगले महीने स्विस राजधानी बर्न में होने जा रहा है, लेकिन चीन के लगातार विरोध के मद्देनजर इस प्रतिष्ठित समूह में भारत के प्रवेश की संभावना अब भी बहुत कम है।
हुआ ने आगे बताया, ‘हम एनएसजी ग्रुप को समर्थन करते हैं।‘ भारत ने परमाणु सामग्रियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी के आयात पर नियंत्रण करने वाले इस समूह की सदस्यता के लिए पिछले साल मई में आधिकारिक रूप से आवेदन किया था। पिछले साल जून में सोल में आयोजित एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में यह मुद्दा चर्चा के लिए पेश हुआ लेकिन इसका बहुत कम नतीजा निकला क्योंकि चीन ने भारत की कोशिश में अड़ंगा डाल दिया। एनएसजी में सदस्यता के लिए भारत के आवेदन के बाद पाकिस्तान जो हर तरह से चीन के साथ है, ने भी सदस्यता के लिए आवेदन किया है। जहां भारत को अमेरिका व कई पश्चिमी देशों का समर्थन मिला है वहीं चीन अपनी जिद पर अड़ा है कि नये सदस्यों को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
चीन ने कहा था कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर दस्तखत नहीं किए हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एनएसजी के अगले बैठक से पहले भारत ने 48 देशों के इस समूह की सदस्यता हासिल करने के लिए अपनी कोशिशें फिर से शुरू कर दी हैं। उसने सभी सदस्य देशों से बात की है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे अन्य प्रमुख देशों से भारत को समर्थन मिलने के बावजूद चीन अब भी अपने रुख पर अड़ा है। एनएसजी में प्रवेश के लिए चीन दो चरण वाली प्रक्रिया पर जोर दे रहा है। एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों के दाखिले के लिए इनमें एक कसौटी (दाखिले का मानक) तय करना शामिल है। चीन भारत के मामले की तुलना पाकिस्तान से भी करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनएसजी में भारत की सदस्यता का मुद्दा बर्न बैठक में भी चर्चा में आने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल पहले जैसी स्थिति बनी हुई है।
चीन के राजदूत लुओ झाओहुइ ने यहां पिछले महीने एक कार्यक्रम में संकेत दिया था एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों के प्रति उनके देश के रुख में कोई फर्क नहीं आया है। उन्होंने कहा था, 'न्यूक्लियर्स सप्लायर्स ग्रुप (NSG) के मुद्दे पर हम यह मानते हुए किसी देश की सदस्यता का विरोध नहीं करते कि पहले दाखिले के लिए किसी मानक पर सहमत होना जरूरी है।' भारत ने लगातार कहा है कि चीन ही 'एक देश' है जो उसकी कोशिशों को रोक रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दोनों पक्षों ने वार्ता के दो दौर चलाए थे। चीन के परमाणु वार्ताकार वांग छुन और भारत के तत्कालीन परमाणु नि:शस्त्रीकरण सचिव अमनदीप सिंह गिल ने 13 सितंबर और 31 अक्तूबर को वार्ता के दो दौर चलाए थे। चीन के बेल्ट एंड रोड पहल को भारत की ओर से समर्थन नहीं मिल रहा है क्योंकि 50 बिलियन लागत वाला चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर जाता है।
यह भी पढ़ें: चीन को किसी दूसरे देश की 'एनएसजी' सदस्यता पर आपत्ति नहीं, बशर्तें...