अब चीन ने की फ्लैग मीटिंग की मांग
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक सप्ताह से अधिक समय से भारत और चीन के सैनिकों की आमने-सामने मौजूदगी से उत्पन्न गतिरोध सुलझाने के लिए अब बीजिंग ने फ्लैग मीटिंग मांगी है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बैठक कब होगी। इस बीच भारत ने स्पष्ट किया कि गतिरोध को सुलझाने के लिए कई स्तर और कई स्थानों पर कूटनीतिक प्रयास हो रहे हैं।
नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक सप्ताह से अधिक समय से भारत और चीन के सैनिकों की आमने-सामने मौजूदगी से उत्पन्न गतिरोध सुलझाने के लिए अब बीजिंग ने फ्लैग मीटिंग मांगी है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बैठक कब होगी। इस बीच भारत ने स्पष्ट किया कि गतिरोध को सुलझाने के लिए कई स्तर और कई स्थानों पर कूटनीतिक प्रयास हो रहे हैं।
सैन्य सूत्रों ने चीन की ओर से फ्लैग मीटिंग मांगे जाने की तस्दीक करते हुए कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है। चीन की ओर से फ्लैग मीटिंग की यह मांग ऐसे वक्त आई, जब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी सेना को राजनीतिक नेतृत्व के प्रति पूर्ण निष्ठा रखने और सभी आदेशों के मुकम्मल पालन की नसीहत दी थी।
महत्वपूर्ण है कि इससे पहले दोनों देशों के बीच हुई दो फ्लैग मीटिंग से समाधान का कोई रास्ता नहीं निकल पाया था।
इस बीच चीनी राष्ट्रपति की ओर से अपने सैनिकों को किसी भी क्षेत्रीय युद्ध जीतने के लिए तैयार रहने संबंधी बयान पर दिए स्पष्टीकरण में चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे भारत से जोड़कर देखे जाने को कोरी अटकलबाजी करार दिया। मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय मीडिया में इस बाबत भले सवाल उठे हों, लेकिन यह महज कयास हैं। चीनी राष्ट्रपति ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा था कि सेना को सूचना-प्रौद्योगिकी के इस काल में क्षेत्रीय युद्ध जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
चीनी राष्ट्रपति के बयान पर सधी प्रतिक्रिया में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि देश की सीमाएं सुरक्षित हाथों में हैं। बीते साल दोनों देशों के बीच बने सीमा सहयोग समझौते के तंत्र को सक्रिय किए जाने पर उनका कहना था चीन के साथ अनेक स्तर और कई स्थानों पर बातचीत चल रही है। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कहां और किस स्तर पर बात हो रही है?
'चीनी राष्ट्रपति के साथ हालिया मुलाकात में सीमा का मुद्दा प्रधानमंत्री के स्तर पर उठाया गया था। कूटनीति चुपचाप अपना काम कर रही है और भरोसा रखा जाना चाहिए कि इसके परिणाम नजर आएंगे। '
-सैयद अकबरुद्दीन, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता