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दो नाबालिगों लड़कियों ने बाल विवाह पर उठाई आवाज, छोड़ा घर

बाल विवाह के खिलाफ दो किशोरियों ने आवाज उठाई और घरवालों का विरोध करते हुए विवाह से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इसकी शिकायत महिला सशक्तिकरण अधिकारी से भी की। अधिकारियों ने जब परिजन को समझाया, तब जाकर विवाह रोके गए। हालांकि, बालिकाएं इतने पर भी नहीं मानीं

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 08:14 AM (IST)
दो नाबालिगों लड़कियों ने बाल विवाह पर उठाई आवाज, छोड़ा घर

शाजापुर। बाल विवाह के खिलाफ दो किशोरियों ने आवाज उठाई और घरवालों का विरोध करते हुए विवाह से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इसकी शिकायत महिला सशक्तिकरण अधिकारी से भी की। अधिकारियों ने जब परिजन को समझाया, तब जाकर विवाह रोके गए। हालांकि, बालिकाएं इतने पर भी नहीं मानीं और जबरदस्ती विवाह करा देने के डर से उन्होंने घर जाने से इंकार कर दिया। दोनों को उज्जैन स्थित आंगन बालिका गृह भेजा गया है।

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कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी 10वीं की छात्रा शुक्रवार शाम वॉटर वर्क्स के सामने स्थित जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी कार्यालय पहुंची। यहां उसने अधिकारियों को बताया कि अभी उसकी उम्र सिर्फ 15 साल है। इसके बावजूद परिवार वाले अगले सप्ताह उसका विवाह करने वाले हैं। उसने हाल ही में 10वीं बोर्ड की परीक्षा दी है। वह पढ़ाई करना चाहती है। उसने लिखित शिकायत भी दी।

इस पर अधिकारियों ने परिजनों को कार्यालय में बुलाया। काफी समझाने के बाद परिजन विवाह रोकने पर राजी हुए। बावजूद इसके किशोरी ने घर जाने से इंकार कर दिया। आखिर में उसे उज्जैन स्थित बालिका गृह भेजा गया। परिजनों से शपथ पत्र लिया गया कि वे बालिग होने पर ही उसका विवाह कराएंगे।

जान देने पर उतारू थे मां-बाप

इस मामले में किशोरी के मां-बाप काफी आक्रोशित थे। वे किशोरी को साथ ले जाना चाहते थे। उसके साथ नहीं जाने की स्थिति में वे जान देने तक पर उतारू थे। शिकायत करने के जानकारी मिलते ही परिजन भड़क गए और उन्होंने कुछ देर के लिए हंगामा कर दिया। कोतवाली से पुलिसकर्मी कार्यालय पहुंचे और उन्होंने स्थित संभाली।

काउंसलिंग कराई

इसी गांव की एक अन्य किशोरी [16 वर्षीय ] कार्यालय आई थी। उसने भी कम उम्र होने के बावजूद परिवार द्वारा विवाह कराने की शिकायत की थी। उसने बताया था कि अगले दिन विवाह के लिए माता पूजन का कार्यक्रम है किंतु वह कम उम्र में विवाह नहीं करना चाहती।

अधिकारियों ने दोनों पक्षों में काउंसलिंग कराई। साथ ही विवाह करने पर होने वाली कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर परिजन मान गए, किंतु उन्होंने किशोेरी को घर ले जाने से इंकार कर दिया। इसके चलते उसे बालिका गृह उज्जैन भेजा गया। अधिकारियों ने बताया बालिका कक्षा 8वीं तक पढ़ी है। इसके बाद घरवालों ने पढ़ाई छुड़वा दी थी। बालिका आगे पढ़ाई करना चाहती है।

हिम्मत दिखाई

दोनों किशोरियों ने हिम्मत दिखाकर बाल विवाह का विरोध किया व पढ़ाई को अहमियत दी। यह काफी सराहनीय है। फिलहाल बालिकाओं को उज्जैन स्थित आंगन बालिका गृह भेजा गया।

- नीलम चौहान, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी शाजापुर

[साभार: नई दुनिया]

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