सीजेआइ बोले, सरकार के मध्यस्थता केंद्र का प्रदर्शन निराशाजनक
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) टीएस ठाकुर ने रविवार को मुकदमों के अंबार के चलते न्याय प्रणाली पर पड़ते दबाव को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकारी मध्यस्थता
नई दिल्ली, प्रेट्र : देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) टीएस ठाकुर ने रविवार को मुकदमों के अंबार के चलते न्याय प्रणाली पर पड़ते दबाव को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकारी मध्यस्थता केंद्र का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
सीजेआइ ने मध्यस्थता को प्रोत्साहित करने और सरकारी मध्यस्थता केंद्र में सुधार करने के लिए कानूनी ढांचे पर फिर से नजर डालने की वकालत की। उन्होंने देश में मध्यस्थता की कार्यवाही करने वाले संस्थानों की कमी पर भी दुख जताया। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि इसके चलते मध्यस्थता के लिए लोग 'फाइव स्टार होटलों और क्लबों में जाने के लिए मजबूर हैं।'
सरकार संचालित इंटरनेशनल सेंटर फॉर अल्टरनेटिव डिसप्यूट रिजोल्यूशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दो दशक में इसने केवल 20 मामलों को निपटाया है। उन्होंने कहा कि घरेलू विवाद के मध्यस्थता के मामले काफी बढ़ने से कोर्ट पर अधिक बोझ हो गया है। जजों को ज्यादा काम करना पड़ रहा है। उन्होंने 'महाभारत' का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने कौरव और पांडव के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया था लेकिन यह विफल हो गया।
उन्होंने कहा, 'भगवान भी मध्यस्थता में विफल हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह सफल नहीं है।' सीजेआइ मध्यस्थता पर वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मध्यस्थता के फैसलों के संबंध में कानूनी ढांचे पर एक बार फिर नजर डालने की जरूरत है। मध्यस्थता फैसले को मंजूरी मिल जाए तो अदालतों में लंबित मामले कम किए जा सकेंगे।
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