कोर्ट में लंबित मामलों के निपटारे के लिए केंद्र सकारात्मक रवैया अपनाए: CJI
अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से सकारात्मक ढंग से सोचने की अपील की है।
नई दिल्ली(जेेएनएन)। मुकदमों के बोझ से अदालतें कराह रही हैं। कुछ दिनों पहले ये रिपोर्ट आई थी कि जिला न्यायलायों से लेकर उच्च न्यायालयों तक जरूरी संसाधनों के न होने से मुकदमों को निपटाने में दिक्कत आ रही है।इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खेहर सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की है वो लोग जजों के मुद्दों पर सकारात्मक ढंग से पहल करें। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और चीफ जस्टिस खेहर सिंह ने एडहॉक जजों से संबद्ध अनुच्छेद 224-A पर दिलचस्प बहस हुई।
त्रिपुरा हाइकोर्ट के मुद्दे पर सुनवाई
त्रिपुरा हाइकोर्ट में मुकदमों की संख्या पर चीफ जस्टिस खेहर सिंह से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि वो सरकार को इस मुद्दे पर सुझाव दे सकते हैं। खेहर सिंह की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका को टकराव का रास्ता छोड़कर ये सोचने की जरूरत है कि लंबित मुकदमों की संख्या में किस तरह से कमी लाई जा सकती है।
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लंबित मुकदमे, जजों की कमी
त्रिपुरा हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने खेहर सिंह को चिट्ठी लिखकर बताया था कि हाइकोर्ट में 26 लंबित मामले हैं। इसके पीछे बड़ी वजह जजों की संख्या में कमी है। त्रिपुरा हाइकोर्ट में 4 जजों की नियुक्ति होनी चाहिए, जबकि मौजूदा समय में सिर्फ तीन जज हैं। त्रिपुरा हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जजों की कमी का हवाला देकर शेष मामलों को दूसरे कोर्ट में ट्रांस्फर की अपील की थी।
अटॉर्नी जनरल-चीफ जस्टिस में जिरह
सोमवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम दूसरे हाइकोर्ट के कुछ जजों को त्रिपुरा भेजना चाहता तो केंद्र सरकार को आपत्ति नहीं है। लॉ अफसर ने कहा कि एक जज 15 मार्च को रिटायर होने वाले है, लिहाजा कॉलेजियम जज के नाम की सिफारिश कर सकता है। लेकिन अफसर के इस बयान पर चीफ जस्टिस खेहर सिंह भड़क उठे। उन्होंने कहा कि ये नहीं पता कि संस्तुति करने में कितना समय लगेगा लेकिन जब हमारी तरफ से कोई सुझाव दिया जाता है तो आपलोग जरूरत से ज्यादा समय लगाते हैं।
अनुच्छेद 224-A का हवाला
चीफ जस्टिस खेहर सिंह ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि केेंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 224-A के तहत उच्च न्यायलयों के लिए एडहॉक जजों की नियुक्ति के बारे में क्यों नहीं सोच रही है। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद के तहत असामान्य हालात में दो वर्ष के लिए जजों की नियुक्ति हो सकती है।
चीफ जस्टिस के इस बयान पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 224-A के तहत एक हाइकोर्ट के लिए दो वर्षों तक एडहॉक जजों की नियक्ति की जा सकती है, और इस तरह से एक जज एक ही समय में दो जगह काम नहीं कर सकता है। लेकिन अटॉर्नी जनरल के इस बयान पर चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि हम मिलकर काम तो कर ही सकते हैं।
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