हिरासत में रखने की सूचना नहीं दे रही छत्तीसगढ़ पुलिस- एमनेस्टी इंटरनेशनल
संस्था ने दंतेवाड़ा के बड़े गुडरा की हुर्रे करतामी के मामले को संज्ञान में लेकर हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में सूचना न देने पर गहरी चिंता जताई है।
रायपुर। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस को हिरासत में लिए गए लोगों के परिजनों को उनके बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
संस्था ने दंतेवाड़ा के बड़े गुडरा की हुर्रे करतामी के मामले को संज्ञान में लेकर हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में सूचना न देने पर गहरी चिंता जताई है। हुर्रे का पति हुंगा उन सात आदिवासियों में से एक है जिसे दंतेवाड़ा पुलिस ने 13 अप्रैल को बड़े गुडरा से हिरासत में लिया था।
पुलिस ने दावा किया था कि इन सभी लोगों को 30 मार्च को बीएसएफ के वाहन को उड़ाने और सात जवानों की हत्या के आरोप में पकड़ा गया है। जब हुंगा को पकड़ा गया उस वक्त हुर्रे आठ महीने के गर्भ से थी। हुर्रे अपने पति की तलाश में स्थानीय पुलिस थाने व दंतेवाड़ा जेल गई लेकिन उसे हुंगा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। उसने आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी की मदद से 25 अप्रैल को अपने पति से दंतेवाड़ा जेल में मुलाकात की। इससे पहले 15 अप्रैल को ही उसकी डिलवरी हुई थी। पति की तलाश के दौरान ही हुर्रे की तबीयत बिगड़ गई और 15 मई को उसकी मौत हो गई।
यह हैं नियम
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि मानवाधिकारों के अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है तो यह जरू री है कि बाहरी दुनिया में किसी को यह जानकारी हो कि उसे पकड़ा गया है और कहां रखा गया है। सीआरपीसी की धारा 14- बी में स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति को एक गवाह के सामने हिरासत में लिया जाएगा और जिसे हिरासत में लिया गया है उसके परिजनों को सूचित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में दिशा निर्देश दिए हैं।