रमन सिंह बोले, छत्तीसगढ़ में सैकड़ों वीरप्पन, लेकिन नक्सलवाद मुक्त जरूर होगा भारत
छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला नक्सलियों का राष्ट्रीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय है। उनके सारे टॉप लीडर ओडिशा, झारखंड से यहां पहुंचते हैं और वो अपनी आखिरी लड़ाई यहीं लड़ रहे हैं।
भाजपा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी इतिहास रच रहे हैं। छत्तीसगढ़ के 17 साल के जीवनकाल में बतौर मुख्यमंत्री 14 साल पूरा करने जा रहे डॉक्टर साहब भाजपा के अकेले नेता हैं जिन्होंने लगातार इतने लंबे वक्त तक किसी राज्य की कमान संभाली हो। कारण क्या है? पूछने पर मजाकिया लहजे में रमन सिंह कहते हैं- मैं आयुर्वेद का डॉक्टर हूं। इससे किसी को एलर्जी नहीं होती है।
चुनाव फिर से सामने हैं और किस्मत ने फिर ऐसी बिसात तैयार कर दी है जो भाजपा के लिए लड़ाई आसान कर दे। अजीत जोगी ने नई पार्टी खड़ी कर त्रिकोणीय चुनाव का खाका बना दिया है। इस सबके बीच भाजपा में यह अटकल भी तेज है कि ऐसे अनुभवी नेता को केंद्र में होना चाहिए। खुद प्रदेश स्तर पर भी कुछ भाजपा नेता इस कवायद में जुटे दिखने लगे हैं। डॉ. सिंह किसी भी भूमिका के लिए तैयार हैं, पर कहते हैं- 'हमसे पूछा जाए तो मेरी प्राथमिकता छत्तीसगढ़ है।'
हमारे सहयोगी प्रकाशन दैनिक जागरण समूह की संपादकीय टीम के साथ डॉ. सिंह की लंबी बातचीत का एक अंश-
प्रश्न- हाल ही में राज्य में भाजपा की बैठक हुई थी, जिसमें 65 प्लस सीटें लाने के लक्ष्य पर बात हुई। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर चुप्पी थी। आप क्या कहेंगे?
उत्तर- इसमें मुख्यमंत्री पर निर्णय नहीं होता है। प्रदेश कार्यसमिति 100 लोगों का एक समूह है और हर तीन माह में बैठक होती है। 65 प्लस का निर्णय अध्यक्ष अमित शाह जी ने लिया, उनकी कार्ययोजना माइक्रो लेवल पर होती है। मैं भी प्रदेश अध्यक्ष था। लेकिन शाह जी की योजना उच्च स्तर पर होती है। चुनाव होने में करीब-करीब 450 दिन बचे हैं, उनके लिए योजना है। इनकी चिंता नहीं है कि मुख्यमंत्री कौन बने। मैं ही सब कुछ हूं, ऐसा नहीं है। विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री तय होगा। मूल विषय मेरा मुख्यमंत्री बनना नहीं, छत्तीसगढ़ में भाजपा की चौथी बार सरकार बनाना है।
प्रश्न- सरकार के पांच हजार दिन 14 अगस्त को पूरे हो रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों के आप ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे। चर्चा यह भी है कि आप केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी लेकर आ रहे हैं। कितनी सच्चाई है?
उत्तर- अभी तो मेरी मर्जी पूछी नहीं गई। भाजपा में वैसे यह नहीं पूछा जाता है कि डॉ. रमन तुम्हारी इच्छा क्या है? क्योंकि जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तब आडवाणी जी व नायडू जी ने बुलाकर कहा था कि तुम्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष बनकर जाना होगा। मैंने पूछा था कि मर्जी पूछी जा रही है या आदेश है? उन्होंने कहा कि मर्जी भी पूछ रहे हैं। मुझसे अभी ऐसी कोई बात पूछी नहीं गई। लेकिन मेरी प्राथमिकता छत्तीसगढ़ है।
प्रश्न- आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में पांच साल का कार्यकाल पूरा करना मुश्किल होता है, आप 15 साल पूरे कर रहे हैं। क्या वजह है?
उत्तर- सामंजस्य। सबके साथ मेरे अच्छे संबंध रहे। दिल्ली में कई सरकारें आई, जिसके साथ मैंने कार्य किया। अब केंद्र में मोदी सरकार है। यह भाजपा के लिए स्वर्णिम काल है।
प्रश्न- क्या आपको लगा है कि इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय होगा?
उत्तर- देखिए, राजनीतिक दल तो भाजपा और कांग्रेस ही हैं। तीसरे दल का निर्माण अभी पूर्व मुख्यमंत्री ने किया है, वो भी चुनाव लड़ेंगे। 14-15 महीने में उनकी कितनी स्वीकार्यता होगी, यह समय बताएगा। हां, लेकिन यह मानकर चलते हैं इस चुनाव में सीधा मुकाबला न होकर त्रिकोणीय होगा।
प्रश्न- कहा यह भी जाता है कि जोगी के पीछे रमन सिंह का चेहरा है। उसे खड़ा करने में आपकी भूमिका देखी जा रही है?
उत्तर- देखिए, राजनीति में न कोई किसी का दोस्त होता है और न किसी का दुश्मन। राजनीति एक लाइन पर चलती है। भाजपा की एक अपनी लाइन है। जहां तक मुद्दों की बात है, तो हम समझौता नहीं करते हैं। जोगी जी का मामला कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। कांग्रेस ने जोगी जी को निकाला। उन्हें निकालने के लिए रमन सिंह ने नहीं कहा। कई बार जिसमें मेरा योगदान नहीं होता है, उसका क्रेडिट मिल जाता है।
प्रश्न- आपके एक मंत्री हैं, जिन्होने जंगल की जमीन खरीद ली..?
उत्तर- मुझे यहां आना था, ऐसे में मैंने चीफ सेक्रेटरी को जांच कर डिटेल देने को कहा था।
प्रश्न- छत्तीसगढ़ के साथ भाजपा ने झारखंड-उत्तराखंड राज्य भी बनाए थे, लेकिन लगता है भाजपा वहां कोई रमन सिंह नहीं दे पाई?
उत्तर- देखिए, स्टेट का विकास छोटे राज्य ही करेंगे यह कोई गारंटी नहीं है। छोटे राज्य विकास की गारंटी होती तो नार्थ ईस्ट सबसे आगे होते। राज्य के लिए जरूरी है कि वो सही साइज का हो। वहां संसाधन हों। तीसरी बात कि वहां लीडरशिप हो। इन वर्षों में छत्तीसगढ़ में राजनीतिक स्थिरता रही। सत्ता केवल दो मुख्यमंत्रियों के हाथ में रही। जहां राजनीतिक स्थिरता होती है, वहां विकास होता है। हालांकि झारखंड में मुख्यमंत्री अच्छा कर रहे हैं।
प्रश्न- एक मुख्यमंत्री के नाते आप नक्सलवाद को कानून व्यवस्था की समस्या मानते हैं या फिर सामाजिक समस्या?
उत्तर- नक्सलवाद की जड़ में चारू मजूमदार जैसे लोगों की अपनी विचारधारा रही होगी। लेकिन मौजूदा समय में नक्सलवाद के नाम पर केवल लूट है। विचारधारा नाम की कोई चीज रही होती तो बस्तर में नक्सलवादी 40 सालों में लैंड रिफॉर्म को प्रयोग के तौर पर अपनाते और विकास कार्य करते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। नक्सलियों का एकसूत्रीय धंधा पैसा वसूली है। नक्सली विकास विरोधी हैं। सरकार के कार्य जहां-जहां पहुंच रहे हैं, वहां के लोगों को महसूस होता है कि नक्सलियों ने लोगों में भ्रम फैलाकर रखा था। लोग समझ रहे हैं कि नक्सलियों का कार्य ठेकेदार, सरपंच और उद्योगपति से वसूली करना है।
प्रश्न- छत्तीसगढ़ में नक्सल विचारधारा के इतर भूखमरी, पिछड़ापन सामाजिक समस्या है। इसी से नक्सलवाद को बढ़ावा मिलता है, जहां ऐसी समस्या होती है, वहां नक्सली अपनी जड़ें जमा लेते हैं। क्या कहेंगे?
उत्तर- नक्सली ऐसी समस्याओं को कायम रखना चाहते हैं। वो नहीं चाहते कि बस्तर में रोजगार और शिक्षा के अवसर बढ़ें। अगर सरकार वहां रोड बना देती है, बिजली उपलब्ध करा देती है। इलाकों को सिस्टम से जो़ड़ देती है, तो सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। हमारी नक्सलियों से यही लड़ाई है कि जो वो रोकना चाहते हैं। हम वो करना चाहते हैं। नक्सली केवल और केवल आतंक फैलाने का कार्य करते हैं। यदि बस्तर का आदिवासी सरकार से नाराज होता तो मतदान में भाजपा को क्यों वोट देते। वहां तो सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस भी है।
प्रश्न- क्यों लगता है कि झारखंड में नक्सल की समस्या को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया गया और छत्तीसगढ़ की नकारात्मक छवि बनती है?
उत्तर- छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला नक्सलियों का राष्ट्रीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय है। उनके सारे टॉप लीडर ओडिशा, झारखंड से यहां पहुंचते हैं और वो अपनी आखिरी लड़ाई यहीं लड़ रहे हैं। अगर झारखंड की बात करें तो नक्सली अलग-अलग गुट में बंटे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ से आंध्र और तेलंगाना के नक्सली जुड़े हैं, जिनका बड़ा समूह छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ इंटर स्टेट बॉर्डर से घिरा है। ऐसे में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में थो़ड़ी कठिनाई आती है। जब एक वीरप्पन को पकड़ने में 20 हजार पुलिस बल को 10 साल लग गए। छत्तीसगढ़ में ऐसे सैकड़ों वीरप्पन हैं। नक्सली सारी ताकत छत्तीसगढ़ में लगा रहे हैं, क्योंकि अब उनके अस्तित्व की लड़ाई है। उनको लगता है कि अगर हमें यहां से उखाड़कर फेंक दिया गया, तो नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। मैं तेरह साल से इस बात को बोल रहा हूं कि देश से नक्सलवाद दूर होगा और आज भी इस पर कायम हूं।
प्रश्न- इस वर्ष तो नक्सलवादी हमले बढ़ गए हैं। अमेरिकी रिपोर्ट में भी दावा किया गया है?
उत्तर- अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 से 2017 तक हर वर्ष देश में नक्सल घटनाओं में डेढ़ गुनी वृद्धि हुई है। देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती नक्सलवाद है, क्योंकि नक्सली उनके बीच बैठे हैं, जिन पर हम सीधा ओपन फायर नहीं कर सकते हैं। आंकडों का क्या है। नक्सली वर्ष में एक-दो बड़ी घटनाएं कर देते हैं, जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होती है। लेकिन हम उनके खिलाफ रोज मुहिम चलाते हैं। इसमें हमें सफलता मिलेगी।
प्रश्न- अभी जो मुठभेड़ हुई थी, उसमें क्या हिडमा मारा गया और गणपति क्या किसी दूसरे राज्य में है?
उत्तर- गणपति और नक्सल के टॉप टेन लीडर हैं, उनका मूवमेंट सुकमा के आसपास रहता हैं। हिडमा मारा नहीं गया।
प्रश्न- आपका मानना है कि पीडीएस की वजह से छत्तीसगढ़ में भुखमरी को बड़ा मुद्दा नहीं बनने दिया। अन्य राज्यों में भी भुखमरी की समस्या है। ऐसे में उन राज्यों के लिए क्या सुझाव है?
उत्तर- अलग-अलग राज्यों में अलग आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियां हैं। मेरे यहां 44 फीसदी बीपीएल परिवार हैं। बाकी राज्यों में 12 से 13 फीसदी है। आदिवासी जनसंख्या मेरे यहां 32 फीसदी है, बाकी में 8 फीसदी है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, वन आधारित अर्थव्यवस्था अलग है। हमारे यहां जब योजना बनानी होती है तो इस सब आंकड़ों को आगे रखकर योजना बनाई जाती है।
प्रश्न- छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य अपने यहां बड़े निवेश ले आते हैं। लेकिन उनकी जनसंख्या अशिक्षित होती है, तो बाहर के लोग वहां के संसाधन का उपयोग करते हैं। वो लोग उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। उस पर क्या कार्य किया जा रहा है?
उत्तर- छत्तीसगढ़ की समस्या थी स्किल्ड मैन पावर। लेकिन आज यहां स्किल्ड मैन पावर तैयार किया जा रहा है। पहले हमारे यहां एक नर्सिग स्कूल था। आज 45 हो गए। उस वक्त केरल से नर्स आती थीं, आज छत्तीसगढ़ में नर्से देशभर में जा रही है। तीन केवी थे, 22 हो गए। कृषि विश्वविद्यालय चार थे आज 26 हो गए। आईटीआई जो 59 थे, 150 से ज्यादा हैं। हर छोटे से छोटे कार्य के दूसरे राज्यों से लोग आते थे। लेकिन अब सरकार की ओर से कौशल उन्नयन क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
प्रश्न- बार-बार अमरकंटक को छत्तीसगढ़ का हिस्सा बनाने की मांग उठती है, आप क्या चाहते हैं?
उत्तर- अमरकंटक की पहाड़ी का जो कटाव है, वो छत्तीसगढ़ में आता है। मूल जो नर्मदा नदी का उद्गम है, या सोन नदी का उद्गम है, वो मध्य प्रदेश का भौगोलिक हिस्सा है। भावनात्मक रूप से तो सभी चाहते हैं कि मेरे हिस्से में मिल जाएं। लेकिन एक बार बंटवारा हो चुका है। रही बात चाहत की तो हम चाहते तो हैं, लेकिन हमारी हर चाह पूरी हो ऐसा जरूरी नहीं है।
प्रश्न- आपने लंबे समय तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। बताएं कि नौकरशाही से कार्य लेना कितना मुश्किल है। नेताओं और नौकरशाहों में किसमें ज्यादा सुधार की जरूरत हैं?
उत्तर- दोनों में सुधार की जरूरत है। अच्छाई-बुराई सबमें होती है। हमारे ही बच्चे पढ़-लिखकर नौकरशाह बनते हैं। तो जैसा प्रशिक्षण मिलता है, वैसा काम करते हैं। छत्तीसगढ़ इस मामले में बेहतर है।
प्रश्न- गोरक्षा के नाम पर हिंसा की कुछ घटनाएं हो रही हैं, उस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर- छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हुआ। गोहत्या पर छत्तीसगढ़ में पूर्ण प्रतिबंध है। आज तक छत्तीसगढ़ में एक भी दंगा नहीं हुआ। हिंदुस्तान के नक्शे का अकेला राज्य है, जो 17 साल में दंगा मुक्त रहा।
यह भी पढ़ें: नई सरेंडर नीति से नक्सलवाद के सफाए में मदद- रमन सिंह