राधाकृष्णन हमला मामले में जयेंद्र सरस्वती समेत नौ बरी
कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को चेन्नई की एक अदालत ने आज वर्ष 2002 के एक मामले में बरी कर दिया। उनके अलावा सात अन्यों को भी कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया है।
चेन्नई, प्रेट्र। कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती समेत सभी नौ आरोपियों को 2002 के राधाकृष्णन हमला मामले में बरी कर दिया गया है। प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी राजमणिकम ने अपने संक्षिप्त आदेश में इन लोगों को हत्या के प्रयास समेत सभी आरोपों से बरी कर दिया।
फैसला सुनाते हुए जज ने कहा, 'मैं आप सभी को बरी करता हूं। आप लोग जा सकते हैं। फैसला सुनाए जाने के वक्त सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। अदालत ने कहा कि आरोपी से सरकारी गवाह बने रवि सुब्रह्मण्यम के मामले की अलग से सुनवाई की जाएगी।
80 वर्षीय जयेंद्र सरस्वती इस मामले में मुख्य अभियुक्त थे। मठ के प्रबंधक सुंदरेश अय्यर और कनिष्ठ शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती के छोटे भाई रघु पर आपराधिक साजिश रचने, हत्या का प्रयास और इसके लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कांची मठ के ऑडिटर एस राधाकृष्णन पर 20 सितंबर, 2002 को एक गिरोह के सदस्यों ने उनके घर में घुस कर हमला किया। इन लोगों को आशंका थी कि वह सोमशेखर गणपदिगल के छद्म नाम से पत्र लिखकर शंकर मठ की अनियमितताओं को उजागर कर रहे हैं।
जयेंद्र सरस्वती इन पत्रों से खासे परेशान थे। उन्होंने सुंदरेश अय्यर और रघु को इस मामले में कुछ करने को कहा था। इसके बाद ही राधाकृष्णन पर जानलेवा हमला किया गया था। पुलिस ने इस मामले में कुल 12 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। सुनवाई के दौरान दो लोगों की मौत हो गई और एक आरोपी सरकारी गवाह बन गया।
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