मॉल में भी मिलेंगी सस्ती जेनरिक दवाइयां
आयुर्वेदिक दवाएं बेचने की बाबा रामदेव की कंपनी की ओर से ऐसे ही प्रयास को मिली कामयाबी के बाद अब केंद्र सरकार के औषधि विभाग ने भी रिटेल चेन चलाने वाली कंपनियों से बातचीत शुरू कर दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की योजना सिरे चढ़ी तो कुछ महीनों के अंदर ही बड़े-बड़े मॉल में भी सस्ती जेनरिक दवाएं मिलने लगेंगीं। आयुर्वेदिक दवाएं बेचने की बाबा रामदेव की कंपनी की ओर से ऐसे ही प्रयास को मिली कामयाबी के बाद अब केंद्र सरकार के औषधि विभाग ने भी रिटेल चेन चलाने वाली कंपनियों से बातचीत शुरू कर दी है।
विभाग चाहता है कि बिग बाजार और मोर जैसे बड़े खुदरा स्टोर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की भी अलग से जगह सुनिश्चित हो सके। यहां सिर्फ बिना डॉक्टरी सलाह वाली (ओटीसी) दवाएं ही नहीं सभी तरह की दवाएं बेचने की तैयारी है। केंद्रीय औषधि विभाग इसके साथ ही देश भर के छोटे शहरों और कस्बों में भी ऐसी दुकानें खोलने के लिए अलग से राज्यों से संपर्क कर रहा है। अगले मार्च तक देश भर में ढाई हजार ऐसी दुकानें और खोलने की योजना है।
पिछली सरकार के दौरान शुरू किए गए जन औषधि केंद्र को विभाग ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रूप में सिर्फ नया नाम ही नहीं दिया है बल्कि इसे नई तैयारी के साथ देश भर में पहुंचाने की कोशिश में भी जुट गया है। विभाग के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक ऐसी दुकानें खोलने के लिए राज्यों को जगह उपलब्ध करवाने को कहा गया है। इसके साथ ही सामान्य नागरिकों और गैर सरकारी संगठनों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कई राज्यों में इसको लेकर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया भी आई है। विभाग जन औषधि केंद्र की ब्रांडिंग के लिहाज से भी काम कर रहा है। इसके लिए मॉल में चलने वाले रिटेल चेन कंपनियों से बातचीत की जा रही है।
फ्यूचर समूह के बिग बाजार और आदित्य बिड़ला समूह के मोर से इस संबंध में बातचीत चल रही है। कोशिश की जा रही है कि यहां सिर्फ बिना डॉक्टरी पर्ची (ओवर द काउंटर) के मिलने वाली दवाएं ही नहीं बल्कि डॉक्टरी पर्ची से मिलने वाली दवाएं भी बिकें। इसके लिए बाकायदा यहां फार्मासिस्ट भी रहेंगे। इसके लिए इन्हें न सिर्फ पर्याप्त डिसप्ले एरिया बनाना होगा बल्कि अलग से काउंटर बनाने की जगह भी जरूरी होगी। देश भर में सस्ती जेनरिक दवाएं मुहैया करवाने के लिए वर्ष 2008 में ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ इंडिया (बीपीपीआइ) का गठन किया गया था।
यह सरकारी और निजी दवा कंपनियों से थोक में सस्ती जेनरिक दवाएं खरीद कर जन औषधि केंद्रों के जरिये उन्हें कम कीमत पर उपलब्ध करवाता है। इस तरह बिना सरकारी सब्सिडी के ही ये दवाएं कई गुनी तक सस्ती मिल जाती हैं क्योंकि इनमें दवा कंपनियों का भारी मुनाफा शामिल नहीं होता। इस समय देश भर में लगभग 450 ऐसी दुकानें चल रही हैं। विभाग का दावा है कि इन दुकानों में दवाओं के वितरण को लेकर मिल रही शिकायतें भी जल्दी ही दूर कर ली जाएंगी।