ओमप्रकाश चौटाला की सजा बरकरार
हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला व तीन अन्य को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली।
नई दिल्ली । हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला व तीन अन्य को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट ने इन सभी को सुनाई गई दस साल कैद की सजा गुरुवार को बरकरार रखी। राज्य में तीन हजार से अधिक शिक्षकों की अवैध नियुक्ति के मामले में निचली अदालत इन दोषियों को 10 साल कैद की सजा सुना चुकी है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि ओम प्रकाश चौटाला उस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और इस नाते घोटाले के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा -- 'यह कहा जा सकता है कि ए--4 (चौटाला) उम्रदराज हैं और अपने राजनीतिक कॅरिअर के आखिरी प़़डाव पर हैं। अत:, उनके प्रति नरमी बरती जानी चाहिए। लेकिन मैं इस दलील से सहमत नहीं हूं। वह हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं, जो राज्य के युवाओं की आशा और प्रेरणा बनने में सक्षम थे। परंतु उनके भविष्य के साथ धोखा किया। इसलिए अधिकतम सजा के पात्र हैं।' 78 वषर्षीय चौटाला ने 7 फरवरी को हाई कोर्ट में दाखिल कर दोषी करार दिए जाने तथा सजा को चुनौती देते हुए स्वास्थ्य आधार पर सजा स्थगित करने की मांग की थी।
कोर्ट ने इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला के तीन राजनीतिक सलाहकारों शेर सिंह बदशमी, उनके पूर्व ओएसडी विद्याधर और हरियाणा के पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार को भी सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अभियुक्तों की सभी 55 अपीलों को भी खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति मृदुल ने कुल 55 आरोपियों में से पांच को सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखने के साथ--साथ 50 अन्य आरोपियों की सजा दो वर्ष कम कर दी। विशेष सीबीआई अदालत ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला और 10 अन्य आरोपियों को वर्ष 2000 में 3,206 अल्प प्रशिक्षित कनिष्ठ शिक्षकों की अवैध भर्ती के लिए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस मामले में एक दोषी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि 44 अन्य को चार--चार साल कैद की सजा सुनाई गई है। सभी अभियुक्तों को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों को असली बनाकर पेश करने, षषड्यंत्र करने और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत पद का दुरपयोग करने का दोषी पाया गया था।
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