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बगावत के बाद चौ. बीरेंद्र को कांग्रेस वर्किग कमेटी से हटाया

करीब चार दशक तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले राज्यसभा सदस्य चौ. बीरेंद्र सिंह को पार्टी ने कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य पद से हटा दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 08:46 AM (IST)
बगावत के बाद चौ. बीरेंद्र को कांग्रेस वर्किग कमेटी से हटाया

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। करीब चार दशक तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले राज्यसभा सदस्य चौ. बीरेंद्र सिंह को पार्टी ने कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य पद से हटा दिया है।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ. शकील अहमद के जरिए पार्टी ने बीरेंद्र सिंह को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने देर रात इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राष्ट्रीय महासचिव के जरिए पार्टी ने बीरेंद्र सिंह से तीन दिन में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

काबिल-ए-गौर है कि बीरेंद्र सिंह कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सार्वजनिक मंचों से भी बीरेंद्र सिंह ने पार्टी विरोधी बयान देने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में उन्होंने यह भी कहा था कि अगर सोनिया गांधी भी उन्हें रोकें तो वह कांग्रेस में रुकने वाले नहीं हैं।

बीरेंद्र सिंह की उचाना में अपने समर्थकों से कांग्रेस के बारे में बात करते हुए आंखें भर आई थी, लेकिन देर शाम उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस कार्य समिति से तो हटाया ही गया, साथ ही कारण बताओ नोटिस देते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।

संघ को विश्वास में ले भाजपा की ओर बढ़ रहे बीरेंद्र

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य चौ. बीरेंद्र सिंह ने भाजपा में अपनी एंट्री से पहले आरएसएस के प्रमुख नेताओं को भी विश्वास में लिया है। बीरेंद्र सिंह कई आरएसएस नेताओं के संपर्क में हैं और उनसे मुलाकात का दौर जारी है। अगले तीन दिनों में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात संभव है। इसके लिए वह प्रयास कर रहे हैं।

'युवा शक्ति बदलाव की ओर' संगठन के बैनर तले 18 अगस्त की कैथल रैली की तैयारियों के मद्देनजर बीरेंद्र सिंह प्रदेश भर में घूमेंगे। इससे पहले वह नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं। उनकी कोशिश है कि इस रैली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बुला लिया जाए।

बीरेंद्र सिंह की भाजपा में एंट्री का रास्ता तैयार करने में कांग्रेस छोड़कर गए दो मौजूदा सांसदों की भूमिका अहम रही है। राज्यसभा सदस्य होने के नाते बीरेंद्र सिंह भाजपा नेता ओम माथुर के संपर्क में पहले से थे। उन्होंने ही बीरेंद्र की राजनाथ सिंह से मुलाकात कराई है। बीरेंद्र सिंह की नब्ज टटोलने के बाद भाजपा हाईकमान ने अपनी पार्टी के प्रमुख जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु को उनसे बातचीत की जिम्मेदारी दी।

कैप्टन अभिमन्यु ने भाजपा और बीरेंद्र सिंह के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनाई है। इसमें सीटों का बंटवारा अहम है। बीरेंद्र सिंह और भाजपा दोनों ही हालांकि खुले तौर पर यह कह रहे हैं कि कोई शर्त तय नहीं है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस में रहकर बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री पद की लड़ाई लड़ते रहे और अपने समर्थकों के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, उसके मद्देनजर यह स्वीकार करना मुश्किल है कि बीरेंद्र बिना शर्त भाजपा में जाने को तैयार हो गए होंगे।

बीरेंद्र सिंह का कहना है कि आज की स्थिति यही है कि कोई भी शर्त तय नहीं हुई, लेकिन भविष्य का कुछ नहीं कहा जा सकता। मैंने उनसे सलाह मशविरा किया है। बीरेंद्र सिंह की इस बात पर यकीन भी कर लिया जाए तो प्रो. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर, अनिल विज और ओमप्रकाश धनखड़ समेत कई ऐसे नेता हैं, जिनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर बीरेंद्र की एंट्री से कहीं न कहीं असर पड़ता है। ऐसे में वह शांत से बैठे रहेंगे, ऐसा नहीं लगता।

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