मध्य एशिया में गेम चेंजर साबित होगा चाबहार पोर्ट
सूत्रों के मुताबिक ईरान चाहता है कि पाकिस्तान तक बिछाई जाने वाली पाइपलाइन में भी भारत शामिल हो। लेकिन भारतीय पक्ष ने इस संभावना को फिलहाल खारिज किया है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। फारसी की कहावत है देर आयद, दुरुस्त आयद। यह कहावत मोदी की ईरान यात्रा और वहां किये गये समझौतों को देख कर बिल्कुल सही साबित होती है। कई जानकार मान रहे थे कि मोदी ने ईरान जाने में थोड़ी देरी कर दी है लेकिन सोमवार को दोनों देशों के बीच जो 12 अहम समझौते हुए हैं उसे भारतीय कूटनीति में एक अहम उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। भारत सरकार का मानना है कि दोनों देशों के बीच जो समझौते हुए हैं वह सिर्फ शुरुआत हैं, ईरान पश्चिम एशिया और मध्य एशिया में भारतीय कूटनीति के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित होगा।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति रोहानी इस बात के लिए सहमत हुए कि उनके बीच लगातार वार्ता का दौर चलते रहना चाहिए। दूसरी सहमति यह बनी कि दोनों देशों के बीच जो भी लंबित मुद्दे हैं उस पर निश्चित समय के भीतर फैसला होगा। मसलन, भारत और ईरान के बीच गैस खरीदने को लेकर लंबी अवधि का समझौता होने वाला है। इससे जुड़े सभी तथ्य मसलन कितनी मात्रा में गैस खरीदी जाएगी, उसकी कीमत क्या होगी और उसे किस तरह से भारत तक लाया जाएगा। इस पर इस वित्त वर्ष के भीतर ही फैसला हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक ईरान चाहता है कि पाकिस्तान तक बिछाई जाने वाली पाइपलाइन में भी भारत शामिल हो। लेकिन भारतीय पक्ष ने इस संभावना को फिलहाल खारिज किया है। भारतीय पक्ष ने समुद्र के भीतर पाइपलाइन बिछाने की विकल्प दिया है। दोनों देशों के बीच इस पर अंतिम फैसला के लिए एक समिति का गठन भी हो सकता है।
इसी तरह से ईरान में भारतीय निवेश से स्थापित होने वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र को लेकर भी अब तेजी से फैसला होगा। यह विशेष आर्थिक क्षेत्र विदेश में भारतीय कंपनियों का अभी तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। साथ ही अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो यह ईरान में होने वाला सबसे बड़ा विदेशी निवेश भी होगा। शुरुआती तौर पर अनुमान है कि भारतीय कंपनियां यहां स्टील, यूरिया व अन्य उर्वरक फैक्ट्री लगाने में 20 अरब डॉलर तक का निवेश करेंगी। बाद में यह निवेश आगे और बढ़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक मध्य एशिया के विशाल बाजार में प्रवेश के लिए यह आर्थिक क्षेत्र भारतीय कंपनियों के लिए अहम द्वार साबित हो सकता है। भारत ने वादा किया है कि वह ईरान में मौजूदा निवेश को दोगुना करेगा। वैसे ईरान ने भी कहा है कि उसकी कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए तैयार हैं।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से एक अहम सहमति यह बनी है कि ईरान ने फरजाद बी गैस व तेल ब्लाक को पूरी तरह से भारत को देने का प्रस्ताव रखा है। इस ब्लाक में अभी ओएनजीसी के पास बड़ी हिस्सेदारी है। यहां ओएनजीसी को पेट्रो उत्पाद खोजने में सफलता भी मिली थी लेकिन उसका उत्पादन अभी तक नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि दिसंबर, 2016 तक यहां से तेल व गैस उत्पादन व इसकी मार्केटिंग का रास्ता साप हो जाएगा। अब यह भारतीय पक्ष पर निर्भर करेगा कि वह इस प्रस्ताव को आगे ले जाने में कितनी तेजी दिखाते हैं।
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