आपदा नियम बदलने पर ही किसानों को राहत
आपदा राहत कोष के मानकों को बदले बगैर बेमौसम बारिश से त्राहि-त्राहि कर रहे किसानों का भला होने वाला नहीं है। केंद्र सरकार की सक्रियता से उम्मीद जरूर बंधी है कि पीड़ित किसानों तक राहत जल्दी पहुंच जाएगी।
नई दिल्ली। आपदा राहत कोष के मानकों को बदले बगैर बेमौसम बारिश से त्राहि-त्राहि कर रहे किसानों का भला होने वाला नहीं है। केंद्र सरकार की सक्रियता से उम्मीद जरूर बंधी है कि पीड़ित किसानों तक राहत जल्दी पहुंच जाएगी। लेकिन मौजूदा दरों पर मिलने वाला मुआवजा 'ऊंट के मुंह में जीरा' साबित हो सकता है। मुआवजा भी उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनकी आधी अथवा इससे अधिक फसल चौपट हुई होगी।
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसलों को हुए भारी नुकसान ने देश के उत्तरी व पश्चिमी क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है। राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार भी पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने की जल्दी में है। कृषि मंत्रालय के तीनों केंद्रीय मंत्री खुद राज्यों का दौरा करने निकल पड़े हैं। लेकिन मौजूदा व्यवस्था में बारिश से होने वाला नुकसान आपदा की श्रेणी में नहीं है। इसे आपदा की श्रेणी में शामिल कराने के लिए कृषि मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है।
प्राकृतिक आपदा को लेकर संसद के दोनों सदनों में पीड़ित किसानों के प्रति गहरी सहानुभूति जताई गई। सरकार ने प्रक्रियागत खामियों को दूर करके जल्द-से-जल्द मुआवजा दिलाने का आश्वासन जरूर दिया है। लेकिन असल समस्या की ओर किसी का ध्यान अभी तक नहीं गया है। बेमौसम बारिश को सरकार आपदा की श्रेणी में रख भी ले तो मुआवजे की दर पुरानी ही रहेगी।
राज्य आपदा कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा कोष के निर्धारित मानदंडों में सभी तरह की कृषि व बागवानी फसलों में 50 फीसद अथवा इससे अधिक नुकसान होने पर ही संबंधित किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान है। नुकसान के लिए भी अलग-अलग दर तय की गई है।
असिंचित क्षेत्र की फसल के नुकसान पर प्रति एकड़ 1800 रुपये और सिंचित फसलों के लिए 3600 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे का प्रावधान है। सालभर में तैयार होने वाली फसल के नुकसान पर मुआवजे की राशि 4800 रुपये प्रति एकड़ है।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और उनके सहयोगी मंत्रियों ने आपदा प्रभावित राज्यों का दौरा शुरू कर दिया है। सिंह जहां महाराष्ट्र के नासिक जिले के गांवों का दौरा किया। कृषि राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने बुंदेलखंड के चित्रकूट और आसपास के गांवों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया।
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