सरनेम बदलने से किसी की जाति नहीं बदलती: बांबे हाईकोर्ट
बांबे हाई कोर्ट ने एक मेडिकल ग्रेजुएट शांतनु हरि भारद्वाज को राहत देते हुए कहा है कि सरनेम बदल लेने से किसी व्यक्ति की जाति नहीं बदल जाती है।
मुंबई, प्रेट्र : बांबे हाई कोर्ट ने एक मेडिकल ग्रेजुएट शांतनु हरि भारद्वाज को राहत देते हुए कहा है कि सरनेम बदल लेने से किसी व्यक्ति की जाति नहीं बदल जाती है। इस व्यक्ति को वैध प्रमाण पत्र पेश करने के बावजूद एसटी वर्ग में नामांकन से इन्कार कर दिया गया था। इन्कार का आधार उसके सरनेम में परिवर्तन को बनाया गया था।
याची ने उल्लेख किया कि उसके पास जाति का वैध प्रमाण पत्र है और वह एसटी वर्ग से आता है। इसके बावजूद पोस्ट ग्रेजुएट में उसके नामांकन पर विचार नहीं किया जा रहा है क्योंकि उसका सरनेम बदला हुआ है।
अदालत ने कहा, 'यदि सरनेम बदल गया है तो इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति की जाति बदल गई है। याची ने यह विशेष रूप से कहा है कि उसके सरनेम में परिवर्तन सरकारी गजट में उचित तरीके से अधिसूचित किया हुआ है।'
याची के पक्ष में आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, 'अंत:कालीन राहत देने के जरिये हम प्रतिवादी को याची के आरक्षित श्रेणी से दावे पर विचार करने का निर्देश देते हैं। यदि याची के पास वैध प्रमाण पत्र है और सरनेम बदलने की सरकारी अधिसूचना है तो उसके दावे पर विचार किया जाए।'
सुनवाई करने वाली हाई कोर्ट की अवकाश कालीन पीठ में जस्टिस शालिनी फन्साल्कर जोशी और जस्टिस बीआर गवई शामिल थे। पीठ ने 23 मई के अपने आदेश में सरकारी वकील से संबंधित कॉलेज को हाई कोर्ट के आदेश से अवगत कराने को कहा था।