चुनौती बना हिमालयी क्षेत्र में मौसम का बदलता मिजाज
हिमालय क्षेत्र में मौसम का बदलता मिजाज नई चुनौती बन गया है। हाल के वर्षो में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदाएं हिमालयी क्षेत्र की जलवायु में होने वाले बड़े बदलाव के संकेत हैं। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। आइआइटी दिल्ली में
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हिमालय क्षेत्र में मौसम का बदलता मिजाज नई चुनौती बन गया है। हाल के वर्षो में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदाएं हिमालयी क्षेत्र की जलवायु में होने वाले बड़े बदलाव के संकेत हैं। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो हालात और गंभीर हो सकते हैं।
आइआइटी दिल्ली में सेंटर फॉर एटमॉस्फीयरिक साइंसेज के वरिष्ठ प्रोफेसर एसके दास ने कहा कि बीते 50 से 60 साल के बारिश के आंकड़ों बताते हैं कि भारत में एक ही दिन में अत्यधिक बारिश होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सालभर में जितनी औसत बारिश होती है, उसमें बदलाव नहीं आया है, लेकिन किसी एक स्थान पर अपेक्षा से अधिक बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसी घटनाएं वैसे तो पूरे देश में बढ़ी हैं, लेकिन देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में इनकी संख्या और तीव्रता अधिक रही है। दरअसल, मानसून जब जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपर पहुंचता है तो वहां पश्चिमी विक्षोभ तथा जेट स्ट्रीम इसकी जटिलता को और बढ़ा देते हैं। जेट स्ट्रीम वायुमंडल पर चलने वाली एक पवन का नाम है जो बेहद तेज गति से चलती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जेटस्ट्रीम जब हिमालय से दक्षिण दिशा में होती है तो मानसून लाने वाली हवायें नीचे नहीं उतर पातीं। लेकिन अचानक से कभी-कभी जेट स्ट्रीम उत्तर दिशा में चली जाती है तो तेजी से मानसूनी पवन नीचे उतरती हैं और थोड़े समय में ही भारी बारिश कर देती हैं। इसी तरह पश्चिमी विक्षोभ भी हिमालय के पश्चिमी छोर पर सक्रिय रहता है। अत्यधिक बारिश की घटनाओं के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ी मानवीय गतिविधियां और उथली होती नदियां भी प्राकृतिक आपदा को बढ़ाने का काम करती हैं।
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