दूसरे चरण के मतदान में चुनौती 65 पार की
लोकतंत्र की कसौटी पर इस बार उत्तर प्रदेश का रुहेलखंड है। पहले चरण में प्रदेश के 10 लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने करीब 65 फीसद मतदान कर दूसरों के लिए लकीर खींच दी। अब रुहेलखंड के लिए इसको पार करने की चुनौती है। चुनौती सिर्फ मतदाताओं के लिए ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग और संबंधित जिलों के डीएम को भी ह
[आनन्द राय], लखनऊ। लोकतंत्र की कसौटी पर इस बार उत्तर प्रदेश का रुहेलखंड है। पहले चरण में प्रदेश के 10 लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने करीब 65 फीसद मतदान कर दूसरों के लिए लकीर खींच दी। अब रुहेलखंड के लिए इसको पार करने की चुनौती है। चुनौती सिर्फ मतदाताओं के लिए ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग और संबंधित जिलों के डीएम को भी है।
अगर वोटों की बारिश हुई तो आज रुहेलखंड में नया कीर्तिमान बनेगा और मतदाताओं के साथ ही आयोग को भी श्रेय मिलेगा। आयोग ने प्रयास किए भी हैं। ग्यारह क्षेत्रों के मतदाताओं को बूथ तक ले जाने के लिए राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और बड़े नेताओं ने भी खूब मेहनत की है। अधिसूचना जारी होने के बाद से ही इलाके का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यह ऐसा गढ़ है जहां अजहरुद्दीन, जयाप्रदा, वरुण गांधी, मेनका गांधी और देवेन्द्र नागपाल जैसे पांच सांसद पिछले चुनाव क्षेत्र में मुकाबिल नहीं हैं। बेगम नूर बानो जैसी उम्मीदवार पिछला चुनाव हारने के बाद दूसरे गढ़ में किस्मत आजमा रही हैं, जबकि सांसद शफीकुर्रहमान बिर्क व पिछला चुनाव हार चुके धर्मेन्द्र कश्यप झंडा बदलकर मैदान में हैं। इस गढ़ में पिछली बार सपा ने नगीना, रामपुर, बदायूं और शाहजहांपुर में अपना कब्जा जमाया था। दूसरे नंबर पर कांग्रेस को मुरादाबाद, बरेली और खीरी में विजयश्री मिली। पीलीभीत और आंवला सीटें भाजपा के कब्जे में रहीं, जबकि संभल सीट बसपा और अमरोहा राष्ट्रीय लोकदल के खाते में गयी थी। इस दफे समीकरण तो बदले ही हैं, मतदाताओं के सामने चेहरों का भी बदलाव है। मुरादाबाद में कांग्रेस के झंडे के नीचे क्रिकेटर अजहरुद्दीन की जगह नूरबानो का नाम है तो रामपुर में सपा कैंप में जयाप्रदा की जगह नसीर अहमद का। आंवला से पीलीभीत आकर मेनका गांधी पुरानी बुनियाद मजबूत करने में जुटी हैं। बदलाव मुद्दों का भी है। एक तरफ मोदी फैक्टर है। गैर भाजपा दल मोदी का हौव्वा खड़ा कर उस पर माहौल बनाने में जुटे हैं।
बसपा, सपा और कांग्रेस जैसे दलों ने ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाकर धु्रवीकरण की कोशिश की है। यहां बसपा ने मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बदायूं, अमरोहा और पीलीभीत में मुस्लिम उम्मीदवार दिए हैं तो सपा भी मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा और बरेली में मुस्लिम उम्मीदवारों के भरोसे मैदान मारने का सपना देख रही है। रालोद और महान दल के समझौते के साथ खड़ी दिख रही कांग्रेस ने भी मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और खीरी में मुसलमान उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है। भाजपा इस धु्रवीकरण के जवाब में मोदी कार्ड खेलकर धु्रवीकरण का ही खेल खेल रही है। इस गढ़ में भाजपा के पास मेनका गांधी और संतोष गंगवार जैसे कद्दावर नेता हैं तो कंवर सिंह तंवर जैसे धनबली भी।
2009 का मतदान
क्षेत्र-वोट प्रतिशत
1.नगीना- 53.77
2.मुरादाबाद--54.80
3.रामपुर- 52.50
4.संभल -52.82
5.अमरोहा-60.17
6.बदायूं- 52.45
7.आंवला-53.74
8.बरेली- 50.35
9.पीलीभीत-63.93
10.शाहजहांपुर-48.68
11.खीरी- 54.58