चकमा, हाजोंग को नहीं मिलेगा मूल निवासियों जैसा अधिकार
पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए चकमा और हाजोंग शरणार्थी अरुणाचल प्रदेश में रह रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार सभी चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करेगी। लेकिन पूर्वोत्तर के मूल निवासियों के अधिकारों के साथ घालमेल नहीं करेगी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को यह जानकारी दी। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए चकमा और हाजोंग शरणार्थी अरुणाचल प्रदेश में रह रहे हैं।
चकमा-हाजोंग शरणार्थी मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा हुई। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से बुलाई गई बैठक में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रिजिजू और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल एवं अन्य ने हिस्सा लिया।
एक घंटे तक चली बैठक के बाद रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेश का पालन करने के लिए बीच का रास्ता अपनाया जाएगा। शीर्ष अदालत ने चकमा-हाजोंग को नागरिकता प्रदान करने का आदेश दिया था। नागरिकता देने में स्थानीय लोगों के अधिकारों का घालमेल नहीं किया जाएगा। चकमा-हाजोंग समुदाय के लोग 1964 से अरुणाचल प्रदेश में हैं। उन्हें एसटी का दर्जा नहीं दिया जाएगा और मूल निवासियों के अधिकारों का घालमेल नहीं होगा।
अरुणाचल प्रदेश में कई संगठन और नागरिक संगठन चकमा और हाजोंग को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं। संगठनों का कहना है कि इससे राज्य की जनसंख्या में बदलाव आ जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार एक मान्य समाधान तलाशने का प्रयास कर रही है। शरणार्थियों को अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति को दिया गया भूमि मालिकाना अधिकार नहीं दिया जाएगा। हालांकि उन्हें इनर लाइन परमिट दिया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश में गैर स्थानीय लोगों को यात्रा और काम करने के लिए यह परमिट जरूरी है।
यह भी पढ़ेंः एक्शन में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, ले रहीं ताबड़तोड़ फैसले
यह भी पढ़ेंः पादरी टॉम की रिहाई के फिरौती नहीं दी गईः वीके सिंह