बुरी यादों और नई उम्मीदों के बीच फिर खुला छबाड़ हाउस
बुरी यादों एवं नई उम्मीदों के बीच यहूदियों का पूजास्थल छबाड़ हाउस मंगलवार को फिर से खुल गया। 26 नवंबर, 2008 के आतंकी हमले में तहस-नहस होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था। दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित छबाड़ हाउस को नरीमन हाउस के नाम से जाना जाता है। यह न सिर्फ महानगर में यहूदियों के पूजास्
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। बुरी यादों एवं नई उम्मीदों के बीच यहूदियों का पूजास्थल छबाड़ हाउस मंगलवार को फिर से खुल गया। 26 नवंबर, 2008 के आतंकी हमले में तहस-नहस होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था।
दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित छबाड़ हाउस को नरीमन हाउस के नाम से जाना जाता है। यह न सिर्फ महानगर में यहूदियों के पूजास्थल के रूप जाना जाता था, बल्कि बाहर से आनेवाले यहूदियों को यहां आश्रय भी मिलता था। पाकिस्तान से आए 10 हथियारबंद आतंकियों ने नरीमन हाउस को भी अपना निशाना बनाया था।
आतंकी हमले के बाद माना जा रहा था कि यहूदी समुदाय अब इस जर्जर इमारत को छोड़कर कहीं और अपना पूजास्थल बनाएगा। लेकिन, स्वभाव से जुझारू माने जानेवाले यहूदियों ने नरीमन हाउस में ही अपनी यादें संजोने और यहीं रहने का मन बनाया। पूरी इमारत की मरममत के बाद आज पुन: खोले गए छबाड़ हाउस में हमले में मारे गए पुजारी होल्ट्जबर्ग, उनकी पत्नी रिविका सहित सभी छह लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर होल्ट्जबर्ग के पिता रब्बाई नाचमैन होल्ट्जबर्ग भी मौजूद थे। नए रब्बाई इसरॉयल कोजलोवस्की के अनुसार गैव्रियाल एवं रिविका उनके आदर्श होंगे।
बता दें कि इस छह मंजिला इमारत में हमले की यादों को संजोने के लिए चौथी और पांचवीं मंजिलों को संग्रहालय में बदला जा रहा है। यहां तक कि इमारत में गोलियों के निशानों को भी मिटाया नहीं गया है। उनपर पारदर्शी कांच लगाकर उन्हें भी दर्शकों केलिए खुला रखा जाएगा।
59 घंटे रहा था आतंकियों के कब्जे में
नरीमन हाउस करीब 59 घंटे आतंकियों के कब्जे में रहा था। इसे आतंकियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए सेना को पड़ोस की इमारतों से हलके गोलों की बौछार करनी पड़ी थी और हेलीकॉप्टर से अपने कमांडो नरीमन हाउस की छत पर उतारने पड़े थे।
नरीमन हाउस में मौजूद दो आतंकियों ने स्वयं मारे जाने से पहले छबाड़ हाउस की देखरेख करनेवाले यहूदी पुजारी रब्बाई गैव्रियाल होल्ट्जबर्ग एवं उनकी गर्भवती पत्नी रिविका की भी जान ले ली थी। लेकिन, इस दंपति के दो वर्षीय बेटे मोशे को उसकी देखरेख करनेवाली धाय सांद्रा बड़ी चतुराई से बचाने में कामयाब रही थी।