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ऑटिज्म पीडि़तों का बनेगा विकलांगता प्रमाणपत्र

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक समारोह के दौरान पहली बार ऑटिज्म की बीमारी से पीडि़त एक बच्चे को विकलांगता प्रमाणपत्र दिया गया।केंद्रीय अधिकारिता मंत्रालय ने चार दिन पहले अधिसूचना जारी कर दी है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 28 Apr 2016 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 28 Apr 2016 10:45 PM (IST)
ऑटिज्म पीडि़तों का बनेगा विकलांगता प्रमाणपत्र

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मानसिक बीमारी ऑटिज्म से पीडि़त बच्चों को भी विकलांगता प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इस बाबत केंद्रीय अधिकारिता मंत्रालय ने चार दिन पहले अधिसूचना जारी कर दी है।

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विश्व ऑटिज्म जागरुकता माह के मद्देनजर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आयोजित सम्मेलन में पहली बार ऑटिज्म की बीमारी से पीडि़त एक बच्चे को विकलांगता प्रमाणपत्र दिया गया। इसके साथ ही एम्स में प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस प्रमाणपत्र के जरिये ऑटिज्म पीडि़त बच्चे सामान्य स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे।

इसके अलावा दिव्यांग लोगों की तरह उन्हें रेलवे आरक्षण आदि की सुविधा मिल पाएगी। संशोधित विकलांगता बिल 2014 यदि संसद में पास हो गया तो आने वाले दिनों में इस बीमारी से पीडि़त बच्चे नौकरियों में भी आरक्षण पाने के हकदार होंगे।

एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि यदि बीमारी का सही समय पर पता चले और वक्त पर इलाज शुरू हो जाए तो इससे पीडि़त बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं। इस बीमारी से पीडि़त बच्चों के माता-पिता को जागरूक करने के मकसद से एम्स में पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रोफेसर और पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी डिविजन की प्रमुख डॉ. शेफाली गुलाटी के नेतृत्व में एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान एम्स के निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि विशेषज्ञों की सिफारिश पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने ऑटिज्म पीडि़तों को विकलांगता प्रमाणपत्र देने के लिए 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर दी है। यह एक अच्छी पहल है।

मोबाइल एप से ऑटिज्म की पहचान

पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने एक ऐसा मोबाइल एप विकसित किया है जो ऑटिज्म की बीमारी की पहचान करने में डॉक्टरों की मदद करेगा। ऑटिज्म बच्चों में होने वाली गंभीर मानसिक बीमारी है। शुरुआत में माता-पिता बीमारी के लक्षण को समझ नहीं पाते। छोटे शहरों के पीडियाट्रिक डॉक्टरों में भी इस बीमारी को लेकर ज्यादा जागरुकता नहीं है। इसके मद्देनजर एम्स के डॉक्टरों ने डायग्नोस्टिक टूल फॉर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर नाम से मोबाइल एप विकसित किया है। देश में हर 89 में से एक बच्चा इस बीमारी से पीडि़त है।

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