दिल्ली विधानसभा में केंद्र के नोटिफिकेशन के खिलाफ प्रस्ताव पेश
दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र मंगलवार दोपहर दो बजे से शुरू हुआ। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। सिसोदिया ने कहा कि संविधान को दरकिनार कर अधिसूचना जारी की गई। हम एसीबी के जरिए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहते
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र मंगलवार दोपहर दो बजे से शुरू हुआ। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। सिसोदिया ने कहा कि संविधान को दरकिनार कर अधिसूचना जारी की गई। हम एसीबी के जरिए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार इससे नाराज है। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली से हर हाल में भ्रष्टाचार खत्म करेंगे। प्रस्ताव पर 20 से 25 विधायक अपनी राय रखेंगे। बुधवार को इसे पारित कर उपराज्यपाल नजीब जंग के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।
सत्र शुरू होने से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की। उन्होंने इस मुलाकात के दौरान जंग को एसीबी पर आए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की कापी भी दिखाई।
प्रस्ताव पारित करने में नहीं होगी परेशानी
70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के 67 विधायक हैं। इनमें से एक विधायक पंकज पुष्कर आप से निकाले गए खेमे में हैं लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह सदन में आप विधायकों का साथ देते हैं अथवा नहीं। सदन में सरकार को इतना प्रचंड बहुमत हसिल है कि वह आराम से अपना प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेज सकती है। ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस प्रस्ताव के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि दिल्ली की जनता ने केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा द्वारा केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने से इस अधिसूचना की कानूनी मान्यता पर कोई असर भले नहीं होगा लेकिन एक राजनीतिक संदेश जरूर जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि विधानसभा के आपात सत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव भी लाया जाएगा लेकिन यह प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं बल्कि किसी विधायक की ओर से निजी प्रस्ताव के तौर पर पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की भी संभावना है। आपात सत्र का विरोध करते हुए भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यदि सरकार अधिसूचना पर राय जानने के लिए सत्र बुला सकती है तो जनहित के मामलों पर विचार-विमर्श के लिए सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है?