केजरीवाल सरकार को झटका, दिल्ली की योजनाओं पर केंद्र सरकार का ब्रेक
दिल्ली के शहरी विकास एवं गृह मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण कार्यशैली के कारण बिल लटके हुए हैं।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। पिछले दो साल में दिल्ली सरकार के केवल छह बिलों को ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के माध्यम से 8 बिल ( विधेयक) वापस भेज दिए हैं, जबकि 15 बिल अभी भी विचाराधीन हैं।
दिल्ली सरकार इस इंतजार में है कि बिल वापस आएं तो उन्हें संशोधित कर वापस केंद्र के पास स्वीकृति के लिए भेजा जा सके। दिल्ली के शहरी विकास एवं गृह मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण कार्यशैली के कारण बिल लटके हुए हैं। केंद्र सरकार 15 बिलों पर कुंडली मार कर बैठ गई है। हम बार बार कह रहे हैं कि बिलों में कुछ कमी है तो वापस भेजें। हम संशोधित कर उन्हें भेजेंगे।
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आम आदमी पार्टी (आप) के सत्ता में आने के बाद दिल्ली सरकार ने अभी तक 29 बिल दिल्ली विधानसभा से स्वीकृति देकर केंद्र सरकार के पास भेजे हैं। इनमें 2015 में 23 बिल भेजे गए थे, जबकि 2016 में 6 संशोधित बिल भेजे गए।
2016 में भेजे गए बिलों में से 3 बिल वित्त विभाग व एक बिल वैट से संबंधित था। इसके अलावा एक बिल होटलों पर लगने वाले लग्जरी टैक्स से संबंधित था।
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अगस्त 2016 में दिल्ली विधानसभा से स्वीकृत किए गए इस बिल में लग्जरी टैक्स की सीमा होटल के 750 रुपये वाले कमरे से बढ़ाकर 1500 रुपये की गई थी। इसके तहत अब दिल्ली में 15 सौ रुपये के ऊपर के कमरे पर ही लक्जरी टैक्स लग रहा है। जो 15 फीसद निर्धारित है। इसके अलावा दिल्ली सरकार के अंबेडकर विश्वविद्यालय के नाम से संबंधित बिल को भी मंजूरी दे दी है।
दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा में 2015 में स्वीकृत किए गए 23 बिलों में से एक को भी मंजूरी नहीं मिली है। इसमें से 8 बिल वापस आ गए हैं। उसमें सिटीजन चार्टर बिल मुख्यरूप से शामिल है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति के माध्यम से लौटाए गए इस बिल में दिल्ली सरकार की परिभाषा उपराज्यपाल बताया गया है।
इसके अलावा वेतन से संबंधित 5 बिल भी वापस आ गए हैं। ये पांच बिल विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री आदि के वेतन बढ़ाने से संबंधित हैं। इन बिलों को 2015 से अब तक दो बार केंद्र सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। केंद्र के पास अभी तक दिल्ली सरकार के 15 बिल लंबित हैं। इसमें जनलोकपाल बिल भी शामिल है।