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ओमिक्रोन वैरिएंट : टीके के प्रभाव व तीसरी लहर की आशंका समेत ऐसे कई सवालों के केंद्र ने दिए जवाब

ओमिक्रोन वैरिएंट के दो मामले में गुरुवार को कर्नाटक में रिपोर्ट किए गए। इसके बाद से इसे लेकर कोरोना की तीसरी लहर और वैक्सीन की प्रभावकारिता समेत कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर कई जरूरी जानकार दी है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 11:16 PM (IST)
ओमिक्रोन वैरिएंट : टीके के प्रभाव व तीसरी लहर की आशंका समेत ऐसे कई सवालों के केंद्र ने दिए जवाब
ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जरूरी जानकारी।

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना महामारी का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2 वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर हर तरफ आशंका का दौर है। इस वैरिएंट में जितने ज्यादा म्युटेशन पाए गए हैं, उससे इसकी संक्रमण क्षमता बहुत ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। साथ ही यह डर भी है कि नया वैरिएंट मौजूदा टीकों के प्रभाव को भी कम कर सकता है। भारत में भी इस वैरिएंट की पुष्टि हो चुकी है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ प्रश्न-उत्तर के माध्यम से लोगों की शंका का समाधान करने का प्रयास किया है। इसमें कहा गया है कि अभी ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह माना जाए कि यह वैरिएंट टीके का प्रभाव कम कर सकता है।

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नए वैरिएंट के कारण तीसरी लहर की कितनी आशंका है?

अभी स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस कितनी तेजी से फैलता है और कितना गंभीर है। हालांकि भारत में तेजी से टीकाकरण हो रहा है। सीरो सर्वे के मुताबिक, बहुत बड़ी आबादी डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होकर ठीक हो चुकी है। ऐसे में भारत में स्थिति कम गंभीर होने का अनुमान है। वैज्ञानिक प्रमाण अभी मिलने बाकी हैं।

मौजूदा टीके इस पर कितने प्रभावी हैं?

मौजूदा टीकों के ओमिक्रोन पर प्रभावी नहीं होने का कोई प्रमाण अभी नहीं मिला है। कुछ म्युटेशन को देखते हुए यह अनुमान है कि प्रभाव कुछ कम हो सकता है। हालांकि शरीर में बनी एंटीबाडी और सेल्युलर इम्युनिटी भी वायरस के खिलाफ सुरक्षा का काम करती है और इनका प्रभाव बने रहने का अनुमान है। इसलिए सभी लोगों को जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए।

इस वैरिएंट से कितना सतर्क रहने की जरूरत है?

इस वैरिएंट को डब्ल्यूएचओ ने वैरिएंट आफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है। इसका अर्थ है कि यह वैरिएंट ज्यादा संक्रामक और घातक हो सकता है। अभी इस बारे में वैज्ञानिक नतीजे तो नहीं मिले हैं, लेकिन फिलहाल इससे संभलकर रहने की जरूरत है।

बचाव के लिए कौन से कदम उठाने चाहिए?

वायरस के किसी भी वैरिएंट से बचाव के मामले में शारीरिक दूरी का पालन करना और मास्क लगाना कारगर है। साथ ही हाथों की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। जिन लोगों ने अब तक टीका नहीं लगवाया है, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए। अब तक के प्रमाण बताते हैं कि टीका कोरोना संक्रमण को गंभीर होने से रोकता है। टीका लगवा चुके लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम पाए गए हैं।

जांच के मौजूदा तरीके ओमिक्रोन के मामले में कितने कारगर हैं?

शरीर में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट में वायरस के कुछ विशेष जीन की जांच की जाती है। इनमें स्पाइक (एस), एनवलप्ड (ई) और न्यूक्लिओकैपसिड (एन) जीन शामिल हैं। ओमिक्रोन के स्पाइक में बहुत ज्यादा बदलाव देखा गया है। इसलिए कुछ मामलों में एस-जीन पकड़ में नहीं आएगा। इसे एस-जीन ड्राप आउट कहा जाता है। जांच के दौरान एस-जीन ड्राप आउट को ओमिक्रोन की पहचान के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि पुष्टि के लिए जीन सिक्वेंसिंग की जरूरत होती है।

दोबारा संक्रमित होने का खतरा तीन गुना कर सकता है नया वैरिएंट

इस बीच, दक्षिणी अफ्रीकी विज्ञानियों ने अपने एक शुरुआती शोध में पाया है कि बीटा और डेल्टा जैसे अन्य वैरिएंट आफ कंसर्न की तुलना में ओमिक्रोन किसी व्यक्ति के दोबारा कोरोना संक्रमित होने का खतरा तीन गुना तक बढ़ा देता है। इसमें कहा गया है कि ओमिक्रोन पहले के संक्रमण से शरीर में बनी एंटीबाडी को चकमा देने में काफी हद तक सक्षम है। इस अध्ययन में करीब 28 लाख ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो अध्ययन से कम से कम 90 दिन या उससे पहले संक्रमित हुए थे।


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