भंट्टा-पारसौल मामले ने बढ़ाई केंद्र की मुश्किलें
भंट्टा-पारसौल में किसान आंदोलन के दौरान पुलिसकर्मियों के महिलाओं के साथ कथित दुष्कर्म के मामले ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भंट्टा-पारसौल में किसान आंदोलन के दौरान पुलिसकर्मियों के महिलाओं के साथ कथित दुष्कर्म के मामले ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
संसद के बीते मानसून सत्र में एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने साफ किया था भंट्टा-पारसौल में दुष्कर्म की कोई शिकायत नहीं मिली है। इधर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने सात महिलाओं के शपथपत्र के आधार पर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
भंट्टा-पारसौल में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के आरोप सबसे पहले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने लगाए थे। इसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने वहां का दौरा कर तथ्य जुटाए और अपनी रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सौंप दी। इसमें महिलाओं के साथ दुष्कर्म की बात नहीं कही गई थी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस तरह की किसी घटना का जिक्र नहीं किया था। इसी के आधार पर महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री [स्वतंत्र प्रभार] कृष्णा तीरथ ने संसद में वहां पर दुष्कर्म की घटनाओं से इंकार किया था।
फिर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गांव का दौरा किया। सबसे पहले उसके सामने ही दुष्कर्म की शिकायतें आई। इसके बाद कुछ महिलाओं ने महिला आयोग में जाकर इस बारे में शिकायत की। तब आयोग ने कहा कि पहले ये महिलाएं डरी हुई थीं। इसलिए पहले कुछ नहीं कहा था, लेकिन जब उन्हें आश्वस्त किया गया तो उन्होंने अपने साथ दुष्कर्म होने की बात कही। इन महिलाओं ने इस बारे में शपथपत्र भी दिए, जिनके आधार पर आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा था।
इस पूरे मामले में जिस तरह पहले दुष्कर्म न होने और फिर बाद में दुष्कर्म साबित करने की कोशिशें हुई, उन्हें देखते हुए इस पूरे प्रकरण को राहुल गांधी की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। सबसे पहले राहुल ने ही वहां पर महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने के आरोप लगाए थे। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अब महिला आयोग भी राजनीति करेगा?
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