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..तो फिर सोना खोजेगी सरकार

डौंडिया खेड़ा में एक साधु के सपने के आधार पर सोना खोज अभियान शुरू करके अपनी फजीहत करवा चुकी यूपीए सरकार एक बार फिर सोना खोजने के लिए निकलने वाली है। हालांकि इस बार सरकार सतर्क है और सोना खोजने का काम आधुनिक तकनीक व विदेशी निजी कंपनियों की मदद से शुरू करने की तैयारी है।

By Edited By: Published: Sun, 10 Nov 2013 07:33 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2013 08:52 AM (IST)
..तो फिर सोना खोजेगी सरकार

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। डौंडिया खेड़ा में एक साधु के सपने के आधार पर सोना खोज अभियान शुरू करके अपनी फजीहत करवा चुकी यूपीए सरकार एक बार फिर सोना खोजने के लिए निकलने वाली है। हालांकि इस बार सरकार सतर्क है और सोना खोजने का काम आधुनिक तकनीक व विदेशी निजी कंपनियों की मदद से शुरू करने की तैयारी है। सरकारी व निजी कंपनियों की साझेदारी (पीपीपी) से सोना खोजने का यह महत्वाकांक्षी अभियान शुरू करने पर जल्द ही अंतिम फैसला होने की उम्मीद है।

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पीपीपी के जरिए सोना खोजो अभियान का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय का है। प्रस्ताव को आवश्यक मंजूरी के लिए खनन मंत्रालय के पास भेजा गया है। वैसे खनन मंत्रालय इस प्रस्ताव को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे सरकारी व देशी कंपनियों के हित प्रभावित होंगे।

बहरहाल, खनन सचिव को जल्द से जल्द अपनी प्रतिक्रिया भेजने को कहा गया है, ताकि इस पर जल्द से जल्द कैबिनेट की मंजूरी ली जा सके।

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री पी चिदंबरम का मानना है कि देश में सोना खोजने का काम कई तरह से भारत के लिए हितकारी साबित होगा। इससे सोने की कीमत पर लगाम लगाने के साथ ही चालू खाते में घाटे को कम करने में भी मदद मिलेगी। चिदंबरम देश में सोना आयात को कम करने का लगातार अभियान चलाए हुए हैं। इसके तहत स्वर्ण आभूषण पर आयात शुल्क को दो फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद किया जा चुका है। रिजर्व बैंक भी अपनी तरफ से सोना आयात को कम करने की कोशिश में जुटा है। ऐसे में वित्त मंत्रालय चाहता है कि घरेलू भंडारों से सोना निकालने का काम तेज हो।

वित्त मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि भारत में सोना उत्पादन भले ही अभी ज्यादा न होता हो। लेकिन स्टरलाइट, डीबीयर्स, बीएचपी बिलिटॉन जैसी कंपनियों ने यहां स्वर्ण खोज व खनन में रुचि दिखाई है। पीपीपी मॉडल की मंजूरी मिलने के बाद इन कंपनियों का भारत में प्रवेश आसान हो जाएगा। इससे देश में विदेशी निवेश भी आएगा। उक्त अधिकारी ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हैं जहां वर्ष 1980 में सिर्फ 20 टन सोने का उत्पादन होता था, लेकिन आज लगभग 3700 टन सोना हर वर्ष वहां के भंडारों से निकाला जाता है। योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की सरकारी खनन कंपनियां अभी बमुश्किल 2.2 टन सोने का सालाना उत्पादन करती हैं, जिसे मौजूदा 12 वीं योजना के अंत तक 44 टन सालाना करने का लक्ष्य रखा गया है।

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