रेल हादसे रोकने के लिए केंद्र-राज्य बनाएं टास्क फोर्स
लोको पायलटों के संगठन ने बिहार के धमारा घाट जैसे हादसों से बचने के लिए लोगों के साथ केंद्र व राज्य सरकारों से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने की अपील की है। संगठन के मुताबिक देश भर में लापरवाही से रेल पटरियां पार करते हुए हादसों की चपेट में लोगों के आने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन्हें रा
नई दिल्ली। लोको पायलटों के संगठन ने बिहार के धमारा घाट जैसे हादसों से बचने के लिए लोगों के साथ केंद्र व राज्य सरकारों से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने की अपील की है। संगठन के मुताबिक देश भर में लापरवाही से रेल पटरियां पार करते हुए हादसों की चपेट में लोगों के आने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन्हें रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर काकोदकर समिति की सिफारिशों को लागू करना चाहिए। साथ ही संगठन ने कहा है कि स्कूल के स्तर पर बच्चों को इनके बारे में शिक्षित किया जाए।
आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने धमारा घाट हादसे पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि ऐसी घटनाओं में लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) की कोई गलती नहीं होती। मगर उन्हें गुस्से का शिकार बनाया जाता। हकीकत यह है कि गैरकानूनी ढंग से पटरियां पार करने वाले लोग पूरे देश में रेल संचालन के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं। मीडिया, रेलवे और सामान्य प्रशासन लगातार लोगों को पटरियां पार करते वक्त सावधानी बरतने के बारे में आगाह करते रहते हैं। लेकिन फिर भी बेसुध, लापरवाह व अनजान लोग कहीं से भी पटरियां पार करते हैं। उन्हें ट्रेन की दूरी का अंदाजा भी नहीं होता। फुट ओवरब्रिज, सब-वे की कमी ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है।
हर साल 14-15 हजार लोग पटरियां पार करते मारे जाते हैं। इन मौतों को रोकने के लिए अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय संरक्षा समीक्षा समिति ने केंद्र, राज्य सरकारों तथा एनजीओ के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स बनाने का सुझाव दिया था। राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से पटरियों पर धरना-प्रदर्शन व अतिक्रमण होता है, जिसे आरपीएफ व पुलिस की मदद से हटाने के लिए पब्लिक प्रीमाइसेस इविक्शन एक्ट में संशोधन की सिफारिश भी समिति ने की थी। समिति ने पटरियों के दोनों ओर बाड़ लगाने, दो पटरियों के बीच में बैरीकेडिंग करने तथा स्टेशनों पर फुट ओवरब्रिज, सब-वे बनाने और एस्केलेटर, एलीवेटर की व्यवस्था करने के साथ प्लेटफार्मो की संख्या बढ़ाने का सुझाव भी दिया था।
एसोसिएशन के अन्य सुझाव
सभी स्टेशनों पर तथा स्टेशनों से दूर ऐसे स्थानों पर जहां लोगों की भीड़ रहती है और पटरी पार करती है, फुट ओवरब्रिज या सब-वे बनाए जाएं।
रेलवे क्षेत्र से दूर भी जहां जरूरी हो फुटपाथ बनाए जाएं। रेल व सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों को आपस में मिलाया जाए।
टीवी, सिनेमा, इंटरनेट आदि के जरिए भी प्रचार किया जाए।
रेल प्रशासन को रेलवे एक्ट व संरक्षा समिति की सिफारिशों को लागू कर गैरकानूनी ढंग से पटरियां पार करने वालों पर सख्ती बरतनी चाहिए।
लोगों को समझना चाहिए कि ट्रेन एकदम नहीं रुक सकती। ब्रेक लगाने पर भी कम से कम 850 मीटर आगे जाकर ही रुक सकती है। इसलिए बिना सोचे-समझे पटरी पार न करें।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर