राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता पर केंद्र ने मांगा सुझाव
जेटली ने वित्त विधेयक, 2017 को लेकर राज्यसभा से पारित पांच संशोधनों पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा की।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने कांग्रेस और बीजू जनता दल सहित सभी राजनीतिक दलों से सुझाव मांगा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि कोई भी ऐसा सुझाव दे सकता है, जिससे राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
जेटली ने वित्त विधेयक, 2017 को लेकर राज्यसभा से पारित पांच संशोधनों पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा की। राज्यसभा ने बुधवार को वित्त विधेयक में जो संशोधन किए थे, उनमें से एक कंपनियों के लिए राजनीतिक चंदे की सीमा तय करने के संबंध में भी था। हाल के वर्षो में यह पहला मौका है, जब वित्त विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा ने उसमें संशोधन किया है। वित्त विधेयक, 2017 धन विधेयक था। इसलिए लोकसभा ने ध्वनिमत से राज्यसभा के संशोधनों को खारिज कर दिया।
जेटली ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने चुनावी बांड के बारे में वित्त विधेयक के प्रावधानों का विरोध किया है। लेकिन, राजनीतिक फंडिंग को पारदर्शी बनाने के संबंध में उन्होंने एक भी सुझाव नहीं दिया है। जेटली ने कहा कि राजनीतिक फंडिंग को पारदर्शी बनाने के सुझावों पर सरकार विचार करने को तैयार है।
लोकसभा ने राज्यसभा के जिन पांच संशोधनों को खारिज किया, उनमें सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों के लिए राजनीतिक चंदा देने की सीमा उनके लाभ का 7.5 प्रतिशत करने के संबंध में था। सरकार ने वित्त विधेयक में प्रावधान किया था कि कोई भी कंपनी अपने लाभ का कितना भी हिस्सा राजनीतिक चंदे के रूप में दे सकती है। राज्यसभा ने संशोधन कर कहा था कि यह सीमा 7.5 फीसद होनी चाहिए। माकपा नेता सीताराम येचुरी का तर्क था कि सीमा तय न होने पर राजनीतिक भ्रष्टाचार का रास्ता खुल जाएगा। बीजू जनता दल के सदस्य भतर्ृहरि महताब ने राजनीतिक फंडिंग को पारदर्शी बनाने के लिए जर्मनी का अनुसरण करने का सुझाव दिया।
आयकर कानून में अहम संशोधन
राज्यसभा का एक संशोधन आयकर अधिकारियों की शक्तियों को सीमित करने के संबंध में था, जिसे लोक सभा ने अस्वीकार कर दिया। वित्त विधेयक 2017 के जरिये सरकार ने आयकर कानून की धारा 132ए में संशोधन किया है। इसके तहत अब आयकर अधिकारी को किसी भी व्यक्ति के यहां छापेमारी होने के बाद उसे आयकर विभाग का सैटिस्फैक्शन नोट दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जेटली ने कहा कि 1961 से ऐसा कभी नहीं हुआ कि जिसके यहां छापेमारी हुई हो उसको यह दस्तावेज दिया गया हो। उन्होंने कहा कि अदालत के एक निर्णय के बाद ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि काले धन के बारे में सूचना देने वाले लोगों की रक्षा की जा सके। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि आयकर आकलन के दौरान उस व्यक्ति को यह नोट दिखाया जा सकता है, जिसमें उस व्यक्ति का नाम भी हो सकता है जिसने ऐसी सूचना दी हो।