डा. सचान की मौत मामले में सीबीआइ उखाड़ेगी गड़े मुर्दे
लखनऊ जिला जेल में डिप्टी सीएमओ डा. वाइएस सचान की रहस्यमयी मौत की गुत्थी सुलझाने में सीबीआइ सक्रिय हुई है। जांच एजेंसी एक बार फिर गड़े मुर्दे उखाड़ेगी और अब कई रसूखदारों से पूछताछ हो सकती है। सीबीआइ इस मामले में एक बार क्लोजर रिपोर्ट लगा चुकी है, लेकिन अदालती हस्तक्षेप के बाद जांच फिर शुरू की गई है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। लखनऊ जिला जेल में डिप्टी सीएमओ डा. वाइएस सचान की रहस्यमयी मौत की गुत्थी सुलझाने में सीबीआइ सक्रिय हुई है। जांच एजेंसी एक बार फिर गड़े मुर्दे उखाड़ेगी और अब कई रसूखदारों से पूछताछ हो सकती है। सीबीआइ इस मामले में एक बार क्लोजर रिपोर्ट लगा चुकी है, लेकिन अदालती हस्तक्षेप के बाद जांच फिर शुरू की गई है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] घोटाले से सुर्खियों में आए डिप्टी सीएमओ की मौत के बाद घोटाले के रहस्य से पर्दा उठना शुरू हुआ। सचान की मौत को लेकर कई सवाल उठे। सचान 22 जून 2011 को जिला कारागार के शौचालय में मृत पाए गए। उनके शरीर पर आठ जगह कटे के निशान थे। पुलिस और जेल प्रशासन ने मौत को आत्महत्या करार दिया लेकिन न्यायिक जांच में उनकी हत्या के संकेत मिले। बाद में यह मसला सीबीआइ के हवाले हो गया। सीबीआइ की शुरुआती जांच से हड़कंप मच गया मगर बाद में यह एजेंसी भी लकीर की फकीर होकर रह गई। सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद यह मामला और गर्म हो गया।
कड़ी से कड़ी जोड़ने की चुनौती
सीबीआइ के लिए सीएमओ डा. बीपी सिंह और डा. वीके आर्या की हत्या से सचान की मौत की कड़ी जोड़ने की भी चुनौती रहेगी। असल में 2010-11 के दौरान सीएमओ परिवार कल्याण ने लखनऊ में एनआरएचएम मद में 19.35 करोड़ रुपये की धनराशि योजना में खर्च की थी। प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण के रूप में सचान ने तीन महीने के कार्यकाल में 8.21 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे। इस मामले में सचान पर गंभीर आरोप लगे। उनकी जांच भी शुरू हुई थी।
केंद्र में होंगे ये बिंदु
- 23 जून 2011 को पेशी से पहले एक पूर्व सीएमओ को लिखी सचान की चिट्ठी। इसमें सचान ने धमकी दी थी कि आपने मदद नहीं की तो पोल खोल दूंगा।
- 22 जून को ही पेशी से एक दिन पहले मौत।
-26 अप्रैल 2011 को पत्नी को लिखी सचान की चिट्ठी।
- सुसाइड नोट और डायरी कहां गयी।
- सचान की मौत से किसे होना था फायदा।
- सचान के जीवित रहने पर नप सकती थी किसकी गर्दन।
- कारागार में 26 कैमरे थे, लेकिन फुटेज से क्यों हुई छेड़छाड़।
- जेल प्रशासन ने इस मामले को आत्महत्या बताया लेकिन न्यायिक जांच में हत्या के संकेत।
- सचान के सुसाइड नोट को छिपाने में किसकी रही भूमिका।
- सचान पर वजीरगंज थाने में पांच और सात अप्रैल 2011 को दर्ज दो मुकदमे और इसके निहितार्थ।