दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य सचिव पर सीबीआइ ने कसा शिकंजा
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मातहत काम करने वाले पूर्व स्वास्थ्य सचिव तरुण सीम पर सीबीआइ का शिकंजा कस गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही सीबीआइ के निशाने पर हैैं। अब उनके मातहत काम करने वाले पूर्व स्वास्थ्य सचिव तरुण सीम पर भी जांच एजेंसी का शिकंजा कस गया है। उन पर स्वास्थ्य सचिव रहते हुए दिल्ली सरकार के अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड के बाहर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का काम तीन निजी कंपनियों को सौंपने में घपले का आरोप है। सीम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने तीनों निजी कंपनियों, सीम के घर और दफ्तर पर छापा मारा और इस सिलसिले में दिल्ली सचिवालय भी पहुंच गई। वैसे सीबीआइ ने साफ कर दिया कि इस केस से स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन का कोई संबंध नहीं है।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार तीन निजी कंपनियों को ठेका देने में स्वास्थ्य सचिव तरुण सीम ने तय नियमों की अनदेखी की। उन्होंने इसके लिए न तो टेंडर निकाला और न ही एलजी या दिल्ली सरकार से इसकी अनुमति ली। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके लिए दिल्ली सरकार से बाद में अनुमति (डिफैक्टो) ली गई थी। लेकिन डिफैक्टो अनुमति की व्यवस्था केवल इमरजेंसी मामले के लिए है। जो अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड की सुरक्षा के मामले में नहीं थी। यहां पहले से ही पूर्व सैनिकों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।
सीबीआइ के अनुसार तरुण सीम ने निजी सुरक्षा कंपनियों को ठेका देने के पहले इसका विज्ञापन भी नहीं निकाला। इसके बजाय इन्हीं कंपनियों को अपनी लागत का लेखा-जोखा देने को कह दिया गया और उसके आधार पर उन्हें काम सौंप दिया गया। इसके साथ ही इन कंपनियों से उन पदों के लिए कर्मचारियों को ले लिया गया, जो सरकार में स्वीकृत थे ही नहीं। इन तीनों कंपनियों को कुल 10.50 करोड़ का भुगतान भी कर दिया। एफआइआर दर्ज करने के बाद मारे गए छापे में सीम के नोएडा, चंडीगढ़ और गुडग़ांव में प्लॉट होने के दस्तावेज मिले हैैं। इसके साथ ही दिल्ली के जसोला में उनका एक बंगला भी है। सीबीआइ ने दावा किया कि निजी कंपनियों के यहां से इस संबंध में अहम दस्तावेज बरामद हुए हैैं।
सीम 1992 बैैच के आइआरएस अधिकारी हैैं और स्वास्थ्य सचिव के पद पर उनकी नियुक्ति भी विवादों में रही थी। एलजी की आपत्ति के बाद उन्हें पद छोडऩा पड़ा था।