पत्रकार हत्याकांड में शहाबुद्दीन से सीबीआइ की पूछताछ
पूछताछ के लिए सीबीआइ को मिली है आठ दिनों की रिमांड..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में 10वां आरोपी बनाने के बाद सीबीआइ ने राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से पूछताछ शुरू कर दी है। शहाबुद्दीन के खिलाफ ठोस सबूत जुटाने के लिए जांच एजेंसी उसका लाई डिटेक्टर टेस्ट (झूठ पकड़ने वाली मशीन पर पूछताछ) करा सकती है। अदालत से आठ दिन की पुलिस रिमांड मिलने के बाद सीबीआइ ने तिहाड़ जेल में बंद शहाबुद्दीन को हिरासत में ले लिया है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले साल सिवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या की साजिश में शहाबुद्दीन के शामिल होने के सबूत मिले हैं। हत्या में शामिल आरोपियों से शहाबुद्दीन संपर्क में था और जांच से साफ हो गया है कि शहाबुद्दीन ने ही पत्रकार की हत्या का आदेश दिया था। यही कारण है कि अदालत में दाखिल चार्जशीट में सीबीआइ ने शहाबुद्दीन को 10वां आरोपी बनाया है। अब शहाबुद्दीन से पूछताछ के बाद उसके खिलाफ अदालत में पूरक चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
पत्रकार हत्याकांड में जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ ने अदालत ने शहाबुद्दीन का 10 दिन का पुलिस रिमांड मांगा था। लेकिन अदालत में आठ दिन का रिमांड दिया। अब शहाबुद्दीन से अगले आठ दिनों तक सीबीआइ मुख्यालय में पूछताछ होगी। सूत्रों के अनुसार पत्रकार की हत्या में शामिल होने से इनकार कर रहे शहाबुद्दीन को लाई डिटेक्टर टेस्ट से गुजरने के लिए कहा गया है। यदि शहाबुद्दीन राजी होता है कि इसी हफ्ते उसका लाई डिटेक्टर टेस्ट हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लाई डिटेक्टर टेस्ट के लिए आरोपी की सहमति जरूरी है। यदि शहाबुद्दीन इससे इनकार करता है, तो सीबीआइ उसके इनकार को पूरक सबूत के तौर पर पेश कर सकती है। राजदेव रंजन की पत्नी ने एफआइआर में अपनी पति की हत्या के लिए शहाबुद्दीन को जिम्मेदार ठहराया था। पिछले साल 13 मई को राजदेव की हत्या कर दी गई थी।
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन हत्या और जबरन वसूली के 45 से मामलों में आरोपी है और सारन के चंद्रकेश्वर प्रसाद की अपील पर इसी साल फरवरी में सिवान जेल से तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। शहाबुद्दीन चंद्रकेश्वर प्रसाद के दो बेटों की हत्या का आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट में चंद्रकेश्वर प्रसाद ने आरोप लगाया था कि शहाबुद्दीन सिवान की जेल से केस के गवाहों को धमकाता है, इसीलिए उसे दूसरे जेल में भेज दिया जाना चाहिए। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे तिहाड़ स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।