टेंट खरीद घोटाले में रॉ अफसरों के खिलाफ एफआइआर, छापे
नरेंद्र मोदी सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनॉलयसिस (रॉ) के अधिकारी ही क्यों न हों। प्रधानमंत्री के निर्देश पर सीबीआइ ने रॉ के लिए टेंट खरीदने में हुई गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी है। टेंट की आपूर्ति करने वाली कंपनी के निदेशकों समेत कैबिनेट सचिवालय और रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने दिल्ली और कोलकाता में चार स्थानों पर छापे मारे।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। नरेंद्र मोदी सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनॉलयसिस (रॉ) के अधिकारी ही क्यों न हों। प्रधानमंत्री के निर्देश पर सीबीआइ ने रॉ के लिए टेंट खरीदने में हुई गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी है। टेंट की आपूर्ति करने वाली कंपनी के निदेशकों समेत कैबिनेट सचिवालय और रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने दिल्ली और कोलकाता में चार स्थानों पर छापे मारे।
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार चीन सीमा पर निगरानी करने वाली स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के लिए 2009 से 2013 के बीच करोड़ों रुपये के टेंट खरीदे गए थे। एसएफएफ रॉ के अंतर्गत आता है। रॉ विदेशों में खुफिया जानकारी जुटाने वाले देश की सबसे बड़ी एजेंसी है, जो सीधे कैबिनेट सचिवालय के मातहत काम करती है। सीबीआइ के अनुसार कैबिनेट सचिवालय और रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन टेंटों की खरीद के लिए साईं बाबा बिल्डर्स कंपनी को जानबूझकर फायदा पहुंचाने की कोशिश की।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चार साल में टेंट की खरीद में 22 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। इसके लिए साईं बाबा बिल्डर्स के तीन निदेशकों श्याम सुंदर भंट्टर, मंजरी और जेपीएन सिंह को आरोपी बनाया गया है। जबकि कैबिनेट सचिवालय और रॉ के किसी खास अधिकारी का नाम इसमें शामिल नहीं है। मंजरी का नाम आने के बाद उनके पति और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह के राजनीतिक सलाहकार एसपी सिंह पर भी अंगुली उठी। हालांकि, एसपी सिंह ने साफ कर दिया कि घोटाले से उनका कोई लेना देना नहीं है और लगभग 15 साल पहले मंजरी से उनका तलाक हो चुका है। वैसे सीबीआइ अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छापे में बरामद दस्तावेजों की पड़ताल के बाद साफ तौर पर कुछ कहा जा सकता है।
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