सीबीआइ पहले ही बंद कर चुकी रिलायंस के खिलाफ केस
गैस कीमतों में बढ़ोतरी के आरोप में उद्योगपति मुकेश अंबानी और एक मौजूदा और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ नए सिरे जांच सीबीआइ अधिकारियों और कानूनविदें के गले नहीं उतर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गैस कीमतों में बढ़ोतरी के आरोप में उद्योगपति मुकेश अंबानी और एक मौजूदा और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ नए सिरे जांच सीबीआइ अधिकारियों और कानूनविदें के गले नहीं उतर रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नए सिरे से जांच के आदेश को चुनावी स्टंट बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि सीबीआइ न सिर्फ इस मामले की जांच कर चुकी है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी इससे संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह का मानना है कि पूरा मामला दिल्ली सरकार के एसीबी के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है।
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वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि एक अपराध के लिए किसी नागरिक के खिलाफ अलग-अलग थानों में जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। तुलसी के अनुसार जिन पूर्व अधिकारियों की शिकायत पर केजरीवाल ने जांच के आदेश दिए हैं, उन्होंने अक्टूबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर सुनवाई अभी चल रही है। तुलसी ने कहा कि केजरीवाल और शिकायतकर्ता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए था।
दरअसल, सीबीआइ केजी बेसिन में रिलांयस के निवेश को बढ़ा - चढ़ाकर दिखाने और इससे सरकारी खजाने को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोपों की जांच कर चुकी है। इस मामले में नवंबर 2009 में प्रारंभिक जांच का केस दर्ज किया था और तीन साल की जांच के बाद केस बंद करने का फैसला लिया था। केस बंद करने पहले एजेंसी ने बाकायदा अटार्नी जनरल की राय ली भी थी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सारे सुबूत सीबीआइ की फाइलों में बंद हैं और अदालत चाहे तो इन्हें देख सकती है।
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