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सीबीआइ ने की लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा चलाने की मांग

बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद का पीछा चारा घोटाला नहीं छोड़ रहा है। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर झारखंड के देवधर कोषागार से गैरकानूनी तरीके से निकाले गए 84.53 लाख रुपये के लिए लालू प्रसाद...

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 01:32 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 01:59 AM (IST)
सीबीआइ ने की लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा चलाने की मांग

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद का पीछा चारा घोटाला नहीं छोड़ रहा है। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर झारखंड के देवधर कोषागार से गैरकानूनी तरीके से निकाले गए 84.53 लाख रुपये के लिए लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाये जाने की मांग की है। यह मामला चारा घोटाले में दर्ज किए गए मामलों में से एक है।

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झारखंड हाई कोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को चारा घोटाले के इस मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ कई धाराओं के आरोप यह कहते हुए रद कर दिए थे कि एफआइआर संख्या 20ए-1996 में इन्हीं धाराओं में उन पर मुकदमा चल चुका है इसलिए दोबारा उन्हीं धाराओं में मुकदमा नहीं चल सकता। इन तर्को के साथ हाईकोर्ट ने देवघर कोषागार से गैरकानूनी ढंग से निकाली गई रकम के बारे में दर्ज एफआईआर संख्या 64ए-1996 में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लंबित आइपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 477ए और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(सी)(डी) और 13(2) के आरोप निरस्त कर दिये थे।

हाईकोर्ट ने सिर्फ आइपीसी की धारा 201 व 511 सबूत नष्ट करने की कोशिश में ही मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 300 को आधार बनाते हुए यह आदेश दिया था। धारा 300 कहती है कि एक ही आरोप पर दो मामले नहीं चल सकते। सीबीआइ ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है।

गत 17 अगस्त को सीबीआइ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। लालू प्रसाद ने अपने जवाब में हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए कहा था कि चारा घोटाले के तहत इन्हीं धाराओं में उन पर चायबासा कोषागार से पैसा निकालने के मामले में मुकदमा चल चुका है इसलिए अब दोबारा उसी अपराध में मुकदमा नहीं चल सकता। पिछली सुनवाई पर सीबीआइ ने लालू के जवाब का प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए सुप्रीमकोर्ट से समय मांग लिया था।

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सीबीआइ ने अपने प्रतिउत्तर हलफनामे में लालू के दावे का विरोध करते हुए कहा है कि दोनों मामले अलग-अलग हैं। इसलिए यहा सीआरपीसी की धारा 300 के प्रावधान लागू नहीं होंगे। दोनों मामलों का कालखंड अलग अलग है इसके अलावा दोनों मामलो में अलग अलग कोषागार से पैसा निकाला गया है। इसलिए इसे एक ही मामला नहीं कहा जा सकता है। सीबीआइ का कहना है कि मुकदमा संख्या 20ए-1996 में 1994-95 के दौरान 78 फर्जी आवंटन पत्रों के जरिये चायबासा कोषागार से 37.30 करोड़ रुपए निकाले गए थे। जबकि मौजूदा मामले में जिसका मुकदमा संख्या 64ए-1996 है में 1991-94 के बीच देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपये निकाले गए थे। सीबीआइ ने लालू के खिलाफ आरोप रद करने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की है।

लालू प्रसाद को चारा घोटाले के एक मामले में अक्टूबर 2013 में दोषी ठहराते हुए 5 साल के कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि लालू प्रसाद फिलहाल जमानत पर हैं लेकिन आपराधिक मामले में सजा होने के कारण वे चुनाव लड़ने के आयोग्य हो गए हैं। इसी अयोग्यता के चलते वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे।

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