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नक्सलियों का सहारा ले रहे प्रत्याशी

रांची, प्रदीप सिंह। झारखंड की राजधानी से सटे खूंटी संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व भाजपा के दिग्गज नेता और लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे कड़िया मुंडा करते हैं। यहां से चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी पर नक्सलियों के एक खेमे से मदद लेने का आरोप है। नक्सलियों का दस्ता सुदूर इलाकों में यह मुनादी भी कर रहा है कि जीतेंगे तो दिन में मिलेंगे और

By Edited By: Published: Wed, 16 Apr 2014 06:48 PM (IST)Updated: Wed, 16 Apr 2014 06:49 PM (IST)
नक्सलियों का सहारा ले रहे प्रत्याशी

रांची, प्रदीप सिंह। झारखंड की राजधानी से सटे खूंटी संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व भाजपा के दिग्गज नेता और लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे कड़िया मुंडा करते हैं। यहां से चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी पर नक्सलियों के एक खेमे से मदद लेने का आरोप है। नक्सलियों का दस्ता सुदूर इलाकों में यह मुनादी भी कर रहा है कि जीतेंगे तो दिन में मिलेंगे और हारे तो रात में मिलेंगे। मतलब स्पष्ट है कि अगर नक्सली दस्ते के पसंदीदा उम्मीदवार की हार हुई तो खूनखराबा होगा।

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एक मायने में राजनीतिक दल और नक्सली समूह अपने-अपने फायदे के लिहाज से एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। कोई दल खुलकर न तो इनकी खिलाफत करता है और न ही समर्थन। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। जमशेदपुर लोकसभा उप चुनाव में नक्सलियों के प्रवक्ता और स्थानीय प्रत्याशी के बीच बातचीत की सीडी ने भी बवाल मचाया था। यह मामला फिलहाल अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) के जिम्मे है। झारखंड के 24 में से 22 जिले नक्सलियों के चंगुल में हैं। गृह मंत्रालय ने देशभर में झारखंड से सबसे ज्यादा 13 जिलों को नक्सली आतंक के लिहाज से खतरनाक घोषित कर रखा है। यहां केंदू पत्ते (बीड़ी बनाने के इस्तेमाल में आने वाला) से लेकर प्रतिनिधि चुनने तक में इनका हस्तक्षेप होता है। चुनिंदा प्रत्याशियों की मदद के बदले नक्सलियों को धन, हथियार व संरक्षण मिलता है। गत 10 अप्रैल को संपन्न हुए मतदान में भी नक्सल-प्रत्याशी गठजोड़ के मामले सामने आए। चतरा में प्रत्याशी के पक्ष में नक्सलियों का अलग-अलग दो धड़ा सक्रिय रहा। गुरुवार को जिन संसदीय क्षेत्रों रांची, जमशेदपुर, खूंटी, हजारीबाग, सिंहभूम और गिरिडीह में चुनाव होना है, वहां नक्सलियों का खासा प्रभाव है। शहरी क्षेत्र इससे अछूते हैं लेकिन गांवों का वोट लाल आतंक की हरी झंडी के बगैर तय नहीं होता।

नक्सली भी राजनीति के तहत दिखावे और दबदबे के लिए चुनाव बहिष्कार का झूठा बैनर-पोस्टर चस्पा करते हैं। इन तमाम संसदीय क्षेत्रों के 80 फीसद से ज्यादा मतदान केंद्र संवेदनशील और अति संवेदनशील श्रेणी में आते हैं। हालांकि झारखंड पुलिस प्रवक्ता अनुराग गुप्ता का कहना है कि खूंटी संसदीय क्षेत्र में एक प्रत्याशी ने नक्सलियों से मिलीभगत का आरोप प्रतिद्वंद्वी पर लगाया है। मामले में एफआइआर दर्ज की गई है। नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान का प्रतिशत सुरक्षा बलों के दवाब से बढ़ा है।


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