उठो विधाता, कदम बढ़ाओ और लिखो भाग्य
तुम रोज उठते हो। दफ्तर-दुकान, खेत-खलिहान की ओर भागते हो। अगर-मगर में अपनी समस्याओं से लड़ते हो। कभी अपने को तो कभी सिस्टम को कोसते हो। फिर बिस्तर पर सोते हो, उठते हो। यकीनन आज भी उठे होंगे। पर, आज महज उठने की नहीं, जागने की जरूरत है। आज की सार्वजनिक छुट्टी में भी ड्यूटी है। वह है सोचने की,
[ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी], मुरादाबाद। तुम रोज उठते हो। दफ्तर-दुकान, खेत-खलिहान की ओर भागते हो। अगर-मगर में अपनी समस्याओं से लड़ते हो। कभी अपने को तो कभी सिस्टम को कोसते हो। फिर बिस्तर पर सोते हो, उठते हो। यकीनन आज भी उठे होंगे। पर, आज महज उठने की नहीं, जागने की जरूरत है। आज की सार्वजनिक छुट्टी में भी ड्यूटी है। वह है सोचने की, समझने की और समझाने की..।
जरा देखो अपने शहर-देहात की सड़कों को। प्यासी नहरों को। नाला बनती रामगंगा को। झगरु की कभी न जाने वाली खासी को। सूरजी की फटी साड़ी को। डेढ़ किलो का पेट ढोते 5 साल के छोटका को। चश्मे को भटक रहे सोखा को। शिक्षक की राह देख रहे गांव के स्कूलों को। डाक्टरों की बाट जो रहे सरकारी अस्पतालों को। बंद हो चुकी चीनी मिलों को। अमरोहा में मौन हो चुकी ढोलक उद्योग की थाप को। रामपुर में खत्म हो रही मैंथा की खेती को। सम्भल में गधे की सींग की तरह गायब हो रही दस्तकारी को। यहां मुरादाबाद में फीकी होती पीतल उद्योग की चमक को..।
जरा, याद करो हाइवे पर घायल उस रिश्तेदार को। उसके सिर में लगी चोट को। ट्रामा सेंटर के अभाव में निकली उसकी अंतिम चीख को। तुम्हे निर्भया तो याद होगी। उसके लिए जलाई गई मोमबत्तियां याद होंगी। याद होंगे रोज दुष्कर्म की दुम बढ़ाने वाले दुराचारी। भ्रष्टाचार से देश को खोखला करने वाले भ्रष्टाचारी। काम की तलाश में सुबह, दोपहर व शाम तक भटकने वाले बेरोजगारों को।
सोच रहे होंगे? इतना सब ठीक कैसे होगा। न पैसा है न पैसा पाने का रास्ता है। न हाथ मजबूत है और न ही मिला है कोई हथियार। पर, ऐसा भी नहीं है। एक हथियार है तुम्हारे पास। वही जो टाटा-बिड़ला के पास है। प्रधानमंत्री व राष्
राष्ट्रपति के पास है। राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के पास है। मायावती और मुलायम के पास है। इसी हथियार की नजर में क्या झगरू, क्या मंगरू। क्या टाटा, क्या बिड़ला। क्या हिंदू तो क्या मुसलमान। क्या अगड़ा, क्या पिछड़ा। क्या निर्बल और क्या सबल.। सबके लिए एक समान, मतदाता। हां, यही है वह हथियार, जो किसी का खून बहाए बगैर क्रांति की इबारत लिखता है। हर पांच साल पर अपनी पसंद की सरकार बनाता है। फिर बनाएगा। भ्रष्टाचार से मुक्त प्रशासन, दिलाएगा मुद्रास्फीति व महंगाई से राहत, पूरी करेगा शिक्षा की चाहत, मजबूत करेगा महिला सुरक्षा के साथ ही उसकी शक्ति। मुहैया कराएगा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं। सृजित करेगा रोजगार। बेहतर बनाएगा कानून और व्यवस्था। सुदृढ़ करेगा रक्षा एवं सुरक्षा बल। कृषि क्षेत्र में सुधार और सामाजिक क्षेत्र में न्याय लाएगा। यही तुम्हारा एक वोट धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करेगा। भाईचारा को बढ़ा आगे बढ़ेगा। राजनेताओं से आधुनिक पुलिस व्यवस्था को मुक्त करेगा और तुम्हें बनाएगा भाग्य विधाता। देश का, प्रदेश का, शहर का और पनघट सरीखे सूने गांव का।
तुम अकेले हो, तुम्हारा वोट अकेला नहीं है। तुम्हारे अपने मुरादाबाद मंडल की कुल पांच सीटों मुरादाबाद, नगीना, सम्भल, रामपुर व अमरोहा में तुम्हारी संख्या 79.63 लाख है। तुम्हें सभी पांच सीटों पर 73 उम्मीदवारों के भाग्य को लिखने का अवसर मिला है। तुम ही तय करोगे कि 73 प्रत्याशियों में से कौन होगा तुम्हारा नुमाइंदा, जो संसद में तुम्हारी आवाज बनेगा। वहां तुम्हारी बातों को 5 साल तक रखेगा।
खैर, तुम्हारे लिए पांचों सीटों पर वोट देने के लिए 8359 बूथ बनाए गए हैं। ये बूथ तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। फिर देरी किस बात की। कपड़े पहनो, रोज के बहानों से आज बहाना करो। कदम बढ़ाओ और बन जाओ भाग्य विधाता। लिख डालो पोलिंग बूथों पर भारत के भवष्यि की सुनहरी दास्तां..।
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