कैग रिपोर्ट बताएगी कितने कारगर रहे गंगा निर्मल बनाने के प्रयास
सरकार शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत कर सकती है रिपोर्ट, अब तक हुए खर्च का मूल्यांकन पेश करेगी रिपोर्ट..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा को निर्मल बनाने के प्रयास कितने कारगर रहे या उनमें कितनी खामियां रहीं, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसका खुलासा होने जा रहा है। कैग ने सरकार की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे योजना का ऑडिट किया है और माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पेश की जाएगी।
नमामि गंगे योजना केंद्र के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन आती है। सूत्रों ने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट पर मंत्रालय की टिप्पणी ले ली गई है। पिछले हफ्ते रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और कैग ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब जल्द ही इसे सरकार के पास भेजा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने गंगा को निर्मल बनाने को नमामि गंगे योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इस पर अब तक कितनी धनराशि खर्च हुई है इसका सही-सही आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2011-12 से 2016-17 के दौरान सरकार ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को कुल 4321 करोड़ रुपये जारी किए हैं जिसमें से 2,291 करोड़ रुपये 31 मार्च 2017 तक खर्च किए जा चुके हैं। 'दैनिक जागरण' ने जब इस बारे में एनएमसीजी के महानिदेशक यूपी सिंह से जानकारी मांगी तो उन्होंने जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा।
सूत्रों के मुताबिक, कैग की ऑडिट रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि बीते तीन साल में नमामि गंगे का प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं रहा है। केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी गंगा की सफाई का समुचित तंत्र तैयार नहीं हुआ है।
राजीव महर्षि ने संभाला सीएजी का पदभार
पूर्व गृह सचिव राजीव महर्षि ने सोमवार को देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का पदभार संभाल लिया। उन्होंने शशिकांत शर्मा का स्थान लिया है जिन्होंने पिछले हफ्ते ही अपना कार्यकाल पूरा किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में 62 वर्षीय महर्षि को सीएजी पद की शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल सात अगस्त 2020 तक होगा।
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