खाद्य सुरक्षा बिल को कैबिनेट की मंजूरी
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोनिया गांधी के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक के संसद में पेश होने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ बदलावों के साथ विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाली 2.43 करोड़ बेहद गरीब जनता सहित देश की दो तिहाई आबादी को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोनिया गांधी के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक के संसद में पेश होने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ बदलावों के साथ विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाली 2.43 करोड़ बेहद गरीब जनता सहित देश की दो तिहाई आबादी को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद करीब 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। सरकार इसी सप्ताह विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। मूल प्रस्ताव में संशोधन कर विधेयक के तहत आने वाले हर व्यक्ति को पांच किलो सस्ता अनाज मिलेगा। पहले वरीयता वाली श्रेणी को सात किलो और सामान्य आबादी को प्रति व्यक्ति तीन किलो सस्ते अनाज का प्रावधान था। खाद्य सुरक्षा कानून बनने के बाद लाभार्थियों को चावल तीन रुपये किलो, गेहूं दो रुपये किलो और मोटा अनाज एक रुपये किलो के मूल्य पर मिलेगा। इन दामों की समीक्षा कानून अमल में आने के तीन साल बाद होगी। इससे सरकारी खजाने से 1.24 लाख करोड़ रुपये का सालाना खर्च आएगा।
विधेयक में संशोधन संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के अनुरूप किए गए हैं। खाद्य सुरक्षा कानून लाने का प्रस्ताव संप्रग-2 के मुख्य एजेंडा में शामिल था, लेकिन इसका सरकार के भीतर ही काफी विरोध हुआ। मंत्रियों के समूह से मंजूरी के बावजूद कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक पर लंबा विचार-विमर्श हुआ।
सूत्र बताते हैं कि कृषि मंत्री शरद पवार ने इतनी बड़ी संख्या को सस्ता अनाज देने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जब सस्ता अनाज उपलब्ध होगा तो कोई अनाज पैदा क्यों करेगा। साथ ही सवाल उठाया कि कानून को लागू करने के लिए जरूरी अनाज के लिए देश में भंडारण क्षमता कहां है। इस पर एंटनी ने कहा कि यह हमारे नेता का फैसला है। हमें उसे पूरा करना है।
संप्रग के लिए इस अहम विधेयक पर अनिर्णय की स्थिति में जायसवाल आगे आए और गांधीजी का हवाला देते हुए कहा कि हमें देश के सबसे गरीब की तरफ देखना चाहिए और वोट की चिंता किए बिना उन्हें पेट भर अनाज उपलब्ध कराने का इंतजाम करना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने वाले प्रावधान में संशोधन कर 6000 रुपये देने का प्रावधान किया गया है। इसे बांटने का तरीका बाद में तय किया जाएगा। विधेयक के तहत लाभ देने वालों की राज्यवार संख्या योजना आयोग तय करेगा। हालांकि, राज्य को मिली तय सीमा में किसे लाभ मिलना है, किसे नहीं इसके मानक खुद राज्य सरकारें तय करेंगी।
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