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साल अंत तक बदलेगी राज्यों तक भाजपा की सूरत

दिल्ली चुनाव के बाद छिटपुट निकाय चुनावों और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से सतर्क भाजपा में ऊपर से नीचे तक बदलाव दिख सकता है। केंद्रीय स्तर पर जहां जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा होगा वहीं प्रदेश में अध्यक्ष से लेकर निचले स्तर तक सूरत बदल सकती है। यह बदलाव संगठन चुनाव

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sun, 03 May 2015 08:36 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2015 08:53 PM (IST)
साल अंत तक बदलेगी राज्यों तक भाजपा की सूरत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली चुनाव के बाद छिटपुट निकाय चुनावों और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से सतर्क भाजपा में ऊपर से नीचे तक बदलाव दिख सकता है। केंद्रीय स्तर पर जहां जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा होगा वहीं प्रदेश में अध्यक्ष से लेकर निचले स्तर तक सूरत बदल सकती है। यह बदलाव संगठन चुनाव के साथ ही होगा जो इस साल के अंत तक पूरा होना है।

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पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की टीम का विस्तार और फेरबदल अगले दो सप्ताह में हो सकता है। खुद शाह इसका इजहार कर चुके हैं। यह भी तय है कि संगठन में प्रकोष्ठ की संख्या कम होगी। एक जैसे प्रकोष्ठ जोड़े जाएंगे और प्रभारी को जवाबदेही के साथ जिम्मेदारी संभालनी होगी। युवा चेहरे आगे बढ़ाए जाएंगे। इसके अलावा महासचिव के खाली पद भरे जाएंगे। इसमें भी राज्यों से प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।

असली बदलाव राज्यों में होने हैं। यूं तो नवंबर-दिसंबर तक राज्यों में संगठन चुनाव खत्म होने के साथ इसे जोड़ा जा रहा है। सूत्रो की मानें तो प्रदेश में बड़े स्तर पर चेहरा बदलने की मंशा है। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं और चुनावी राज्यों में बदलाव की परंपरा नहीं रही है। संगठन में अधिकतर नेताओं का मानना है कि वर्तमान प्रदेश नेतृत्व से बड़े नतीजे की आशा नहीं की जानी चाहिए। यह मांग तेज हो रही है वहां प्रदेश अध्यक्ष तत्काल बदला जाए।

बिहार में बदलाव चुनावी नतीजों पर निर्भर करता है। नवंबर तक चुनाव नतीजे आ जाएंगे और अगर नतीजा अपेक्षानुरूप नहीं रहा तो वहां भी नेतृत्व बदला जाना तय है। सदस्यता अभियान में भी बिहार और झारखंड अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में 2017 में चुनाव है। लोकसभा चुनाव के बाद से यहां के नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं रहे हैं। लिहाजा बदलाव की आशा की जा रही है। दक्षिण और उत्तर पूर्व के राज्य शाह की प्राथमिकता में हैं। संगठन चुनाव के साथ यहां भी फेरबदल हो ऐसी उम्मीद की जा रही है। दरअसल शाह चाहेंगे कि उनकी दूसरी पारी से पहले नीचे तक पूरी टीम नई हो।

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