पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कारोबारी रिश्ते की होगी नए सिरे से समीक्षा
वैसे भारत अमेरिका का नौंवा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है लेकिन अमेरिका लगातार यह आरोप लगाता है कि भारत अपने बाजार उसकी कंपनियों के लिए पूरी तरह से नहीं खोलता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप अगर बार बार अपने पांच दशकों के कारोबारी अनुभव का हवाला देते हैं तो मोदी अपने गृह राज्य गुजरात में गुजरातियों के कारोबारी स्किल पर गर्व करते हैं। जाहिर है कि जब वाशिंगटन स्थित व्हाईट हाउस में दोनों की मुलाकात हुई तो उसमें कारोबारी हितों को लेकर जम कर सौदेबाजी हुई है।
यह बात संयुक्त बयान से भी पता चलती है जिसमें भारत व अमेरिका ने अपने मौजूदा कारोबारी रिश्ते को नए सिरे से समीक्षा करने की बात कही है ताकि इन्हें और ज्यादा प्रगाढ़ व व्यापक बनाया जा सके।
संयुक्त बयान का इशारा है कि भारत और अमेरिका एक दूसरे के लिए अपने बाजार और खोलने जा रहे हैं। लेकिन द्विपक्षीय कारोबार की राह इस तरह की होगी जिसमें दोनों देशों के हितों की रक्षा हो। मसलन, भारत को ऊर्जा क्षेत्र में नई तकनीकी मिले लेकिन इससे अमेरिका में रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी हो।
वैसे भारत अमेरिका का नौंवा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है लेकिन अमेरिका लगातार यह आरोप लगाता है कि भारत अपने बाजार उसकी कंपनियों के लिए पूरी तरह से नहीं खोलता। बहरहाल, अब कारोबारी रिश्तों की नए सिरे से समीक्षा होगी जिसके बारे में मोदी ने यह संकेत दिया कि ट्रंप की 'मेक अमेरिका ग्रेट एगेन' और भारत सरकार की अन्य फ्लैगशिप कार्यक्रमों में बेहतर सामंजस्य बनाया जा सकेगा।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी दोनों नेताओं की बैठक काफी अहम रही। अमेरिका न सिर्फ भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात करने को तैयार है बल्कि वह साफ सुथरा कोयला की नई तकनीकी देने और रिनीवल इनर्जी से जुड़ी नई तकनीकी भी देने को तैयार है। इसके लिए अमेरिका अपने कानून में भी बदलाव करने को तैयार है। भारतीय कंपनियों को अमेरिका के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए भी राह आसान किया जाएगा। भारत में अमेरिका की परमाणु ऊर्जा कंपनी वेस्टिंगहाउस इलेक्टि्रक की तरफ से लगाये जाने वाले छह परमाणु रिएक्टर की भी समीक्षा की गई।
सनद रहे कि पिछले वर्ष अमेरिका में मोदी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की बैठक में अमेरिका ने भारत को अहम उर्जा साझेदार देश घोषित किया था। माना जा रहा है कि दोनो देशो के ऊर्जा मंत्रियों की शीघ्र ही बैठक होगी जिसमें सोमवार को बनी सहमति को आगे ले जाने का रोडमैप बनेगा। भारत व अमेरिका अपने द्विपक्षीय कारोबार को 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। नए रोडमैप का एक अहम उद्देश्य से हासिल करना होगा।
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