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हिसार : चौंकाने वाला है आंखों देखा 'आश्रम' का यह नजारा

सतलोक आश्रम को देखकर रामपाल के इंजीनियर दिमाग का पता चलता हैं। इंजीनियर होने के कारण उसे पता था कि किस चीज की कितनी शक्ति हैं। उसकी तरफ से आश्रम को पूरे योजना के साथ तैयार किया गया। कोई किसी हिस्से को देख न सके इसको लेकर पूरी सावधानी रखी

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 05:40 AM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 10:30 AM (IST)
हिसार : चौंकाने वाला है आंखों देखा 'आश्रम' का यह नजारा

हिसार, जागरण संवाददाता। सतलोक आश्रम को देखकर रामपाल के इंजीनियर दिमाग का पता चलता हैं। इंजीनियर होने के कारण उसे पता था कि किस चीज की कितनी शक्ति हैं। उसकी तरफ से कथित आश्रम को पूरे योजना के साथ तैयार किया गया। कोई किसी हिस्से को देख न सके इसको लेकर पूरी सावधानी रखी गई।

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गेट के बाद गेट

'आश्रम' के अंदर घुसने के लिए पहले बड़े गेट को पार करना पड़ता था। मेन गेट से घुसने के बाद करीब 150 फुट पर बायें हाथ की तरफ एक गेट बना है। यह आश्रम के अंदर जाता है।

आठ एकड़ में सत्संग स्थल

इसमें एक बार में तीस हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। सत्संग स्थल के साथ ही पुरुषों के मोबाइल चार्ज करने और नाम के लिए फार्म स्थल और नाम दीक्षा स्थल का स्थान बना हैं।

रसोई में बड़े कड़ाहे

सत्संग स्थल के पीछे रसोई घर बनाया गया हैं। इसमें रोटी बनाने की मशीन, बड़े कड़ाहे से लेकर काफी बर्तन हैं। आश्रम में आने वाले लोग नीचे बैठ कर खाना खाते थे।

सत्संग स्थल पर ही शौचालय

पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित था। जितनी जगह में लोग बैठ सकते थे उतने हिस्से में दीवार के साथ प्रथम तल बनाकर शौचालय बनाए गए थे। सैकड़ों की संख्या में यहां शौचालय बने हुए थे।

बुलेट प्रूफ सुरक्षा

रामपाल जहां बैठ कर सत्संग करता था वह स्थल जमीन से 50 फुट ऊपर पर था। बुलेट प्रूफ शीशों की सुरक्षा में बैठने वाला रामपाल ने इसके अलावा वीआइपी की तरफ डी बनवाया था।

मंच से ही अंदर-बाहर जाने का रास्ता

रामपाल को जो मंच बना था उसके दोनों तरफ से रास्ते बने थे। उसकी जो कुर्सी थी वह हाइड्रोलिक लिफ्ट से ऊपर-नीचे होती थी।

मुख्य साधकों का अलग कमरा

रामपाल के मुख्य साधक भी थे जिनके अलग से कमरे थे। उनके लिए अलमारी से लेकर अन्य काफी सुविधाएं थी।

घर या महल

सत्संग स्थल की बाईं ओर से रामपाल के घर की तरफ जाने का रास्ता था। इस पर राजा महाराजा के समय की तरफ बड़ा गेट लगा था। यहां से किसी आम आदमी को जाने की इजाजत नहीं थी। पांच मंजिला घर में काफी सुरक्षा थी और सुविधाओं के नाम पर बहुत कुछ हैं।

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