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समाजवाद पर सवाल बने शाही 'निशान', सफाई देने में जुटे आजम

दो दिन का शाही समारोह खत्म हो गया। सरकारी-गैर सरकारी मेहमान भी विदा हो गए। रह गए परिवहन से लेकर सजावट तक में लगे शाही निशान (सामान)। ये निशान अब सपा के समाजवाद पर सवाल बन गए हैं। जवाब देने में जुटे हैं समारोह के आयोजक और कैबिनेट मंत्री आजम

By Murari sharanEdited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 07:01 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 07:15 PM (IST)
समाजवाद पर सवाल बने शाही 'निशान', सफाई देने में जुटे आजम

मुरादाबाद [ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी]।दो दिन का शाही समारोह खत्म हो गया। सरकारी-गैर सरकारी मेहमान भी विदा हो गए। रह गए परिवहन से लेकर सजावट तक में लगे शाही निशान (सामान)। ये निशान अब सपा के समाजवाद पर सवाल बन गए हैं। जवाब देने में जुटे हैं समारोह के आयोजक और कैबिनेट मंत्री आजम खां। बोले, बग्घी तो मेरे भांजे ने तोहफे में भेजी थी। पर, मुद्दा उछालने वालों की खींचतान में उसकी कीमत सत्तर लाख तक पहुंच गई है और शुरू हो गया है फूल से लेकर रोशनी तक पर खर्च धन एवं सपा के मन पर सियासी प्रश्न।

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बात सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के दो दिवसीय शाही जन्मदिवस समारोह की है। समारोह शुरू होते ही खर्च पर सवाल खड़ा हुआ तो आजम खां भड़क गए। गुस्से में उन्होंने लगाए गए धन का प्रायोजक कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों को बता दिया। बयान सुर्खियां बना तो सफाई देते हुए खर्च को अपने व मुलायम सिंह यादव के चाहने वालों का रुपया बताया। खैर, समारोह खत्म हो गया, लेकिन सवाल खत्म नहीं हो रहे।

आज मंडल में बग्घी की कीमत को लेकर बाजार गर्म रहा। चर्चा में बग्घी की कीमत सत्तर लाख तक पहुंची तो आजम फिर अपने तेवर में आ गए। भरे समारोह में न केवल पूरे मीडिया को दोषी ठहराया, बल्कि सफाई भी दी। कहा 'मीडिया मेरे पीछे पड़ा है, बग्घी की कीमत सत्तर लाख रुपये बता रहा है, जबकि इसे हमारे भांजे ने तोहफे में दिया'। इस सफाई से साफ था कि शाही निशान अब सवाल बन गए हैं, जो जवाब तो मांगते ही रहेंगे।

बग्घी के बाद पूरी शहर में हुई खास रोशनी और पुष्प वर्षा पर चर्चाओं का बाजार सबसे गर्म है। कयासों का दौर चल रहा है कि सौ स्वागत द्वार, घंटो तक फूलों की बारिश और पूरे शहर को रोशन करने वाले उपकरण कहां से आए और कितना बजट खा गए। चर्चाएं हैं कि अंबेडकर पार्क से लेकर जौहर यूनिवर्सिटी तक सौ से भी ज्यादा स्वागत द्वार बनाए गए। इन पर ही करीब दस लाख खर्च आया होगा। इनको सजाने में रामपुर के दो टेंट हाउस लगे थे। स्वागत द्वार, चौराहों और इमारतों को सजाने के लिए रुद्रपुर, बरेली और आसपास के जिलों से करीब दो सौ कुंतल फूल मंगाए गए थे। होर्डिग्स भी जगमगाए जिन्हें रामपुर की ही दो विज्ञापन कंपनियों ने तैयार किया था। 75 फीट लंबा जो केक लखनऊ की कंपनी ने बनाया जबकि उसका मैनेजमेंट दिल्ली की कंपनी ने किया।

इस तरह सजावट पर जहां पचास लाख रुपये से अधिक खर्च किए जाने की चर्चा है, वहीं लोग इसमें बग्घी की कीमत सत्तर लाख को जोड़कर शाही समारोह पर सवा करोड़ रुपये तक का खर्च ठहरा रहे हैं। सच्चाई जो भी हो, लेकिन इस खर्च ने सपा और आजम के विरोधियों को एक नया हथियार तो थमा ही दिया है, जिसके सहारे सपा की समाजवादी सोच को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है और इसी गूंज रामपुर से बाहर तक जा रही है।

पढ़ें: जन्मदिन पर मुलायम की मंत्रियों को सख्त नसीहत


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