विशेषज्ञ टिप्पणी: रोजगार बढ़ाने वाला बजट
भारत की जनता ने मोदी सरकार को महंगाई पर रोक, भ्रष्टाचार पर अंकुश और युवाओं के लिए अधिकाधिक नौकरियां सृजित करने के लिए चुना था। शुरुआती दोनों ही उद्देश्यों में सरकार सफल रही। मौजूदा बजट का मुख्य ध्यान नौकरियों पर है। अभी प्रति माह 10 ला
नई दिल्ली । भारत की जनता ने मोदी सरकार को महंगाई पर रोक, भ्रष्टाचार पर अंकुश और युवाओं के लिए अधिकाधिक नौकरियां सृजित करने के लिए चुना था। शुरुआती दोनों ही उद्देश्यों में सरकार सफल रही। मौजूदा बजट का मुख्य ध्यान नौकरियों पर है। अभी प्रति माह 10 लाख नई नौकरियों के सृजन की आवश्यकता है।
इसके लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र को महत्व दिया गया है और इसमें सरकार ने 70,000 करोड़ रुपये निवेश करने की बात कही है। इसके तहत रेलवे, सड़कों के निर्माण समेत इन्फ्रा फंड, करमुक्त बांड जारी किए जाने के प्रावधान के साथ ही बंदरगाहों को कंपनियों का दर्जा दिए जाने की बात कही गई है। इससे यह खुले बाजार से पैसा उठा सकेंगे जिससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। बिजनेस को आसान बनाने और युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ईबिजपोर्टल, ऑनलाइन परमिशन जैसे कई कदम उठाए गए हैं।
बजट में आर्थिक विकास दर को तेज करने पर तो ध्यान दिया ही गया है, सामाजिक सुरक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान है। इसके लिए जनधन खाते के माध्यम से पेंशन योजना, आम और गरीब लोगों को बीमा कवर की सुविधा दी गई है। यहां तक कि अत्यधिक गरीबों के लिए प्रीमियम राशि भी सरकार ही देगी। वेल्थ टैक्स को भी खत्म करके अच्छा काम किया गया है। बजट में वित्त मंत्री ने वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप राज्यों को कुल राजस्व को 62 फीसद हिस्सा देने की बात कही है। इससे अकेले यूपी को पहले की तुलना में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे। यदि बजट के मुताबिक काम किया गया तो भारत एक पूर्ण आधुनिक अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
[गुरचरण दास: लेखक आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं।]