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जवानों को आत्महत्या से रोकने के लिए बीएसएफ ने शुरू की दो परियोजनाएं

'मेंटर-मेंटी' सिस्टम के बारे में बताते हुए बीएसएफ महानिदेशक ने कहा, 'कुछ लोग नेचुरल काउंसलर होते हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 20 Aug 2017 07:46 PM (IST)
जवानों को आत्महत्या से रोकने के लिए बीएसएफ ने शुरू की दो परियोजनाएं
जवानों को आत्महत्या से रोकने के लिए बीएसएफ ने शुरू की दो परियोजनाएं

नई दिल्ली, प्रेट्र। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने जवानों में अवसाद और आत्महत्या पर रोक लगाने के लिए दो महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके लिए बल ने अपने वार्षिक चिकित्सा परीक्षण में 'वेलनेस क्वोशंट एसेसमेंट' शुरू किया है। दूसरी योजना को 'मेंटर-मेंटी' सिस्टम नाम दिया गया है।

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2.65 लाख कर्मियों वाले सशक्त बल के महानिदेशक केके शर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा, 'यह सही है कि विभिन्न अभियानों की बजाए हार्ट अटैक, आत्महत्या और दुर्घटनाओं की वजह से ज्यादा जवानों की मौत होती है। जहां तक आत्महत्या का संबंध है तो इसकी संख्या में कमी आई है क्योंकि इस दिशा में हमने कई कदम उठाए हैं और तनाव से निपटने के कई कोर्स भी शुरू किए हैं। अब हम कुछ नई चीजें कर रहे हैं ताकि ऐसे कर्मियों (जो तनाव या परेशानी में हैं) की समय से पहले पहचान कर ली जाए और ऐसी घटनाओं को जितना संभव हो उतना कम किया जाए।'

उन्होंने बताया 'वेलनेस क्वोशंट एसेसमेंट' में जवानों को जिंदगी के विभिन्न हालातों, चुनौतियों और शर्तो से संबंधित प्रश्नों के जवाब देने होंगे। इन प्रश्नों को विशेषज्ञ मानसिक परमार्शदाताओं और चिकित्सकों द्वारा तैयार किया गया है। इसके जरिये यह पता चल जाएगा कि किन जवानों को काउंसलिंग की जरूरत है।

'मेंटर-मेंटी' सिस्टम के बारे में बताते हुए बीएसएफ महानिदेशक ने कहा, 'कुछ लोग नेचुरल काउंसलर होते हैं। हम अपने बल में ऐसे जवानों की पहचान कर रहे हैं। ऐसे कर्मियों को काउंसलर के तौर पर तैयार किया जाएगा। ये लोग परेशान या तनावग्रस्त जवानों की पहचान करके उनकी मदद करेंगे और जरूरत पड़ने पर अपने वरिष्ठों की सहायता लेकर उन्हें और बेहतर सहायता उपलब्ध कराएंगे। यही नहीं ऐसे जवान (मेंटर्स) अन्य जवानों (मेंटी) को भी तनाव से निपटने और सही फैसले लेने का प्रशिक्षण देंगे।'

बता दें कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती सीमाओं की सुरक्षा बीएसएफ के ही जिम्मे है। एक रिकॉर्ड के मुताबिक, 2014 में बल के 46 जवानों ने आत्महत्या की थी, लेकिन 2015 में यह संख्या घटकर 27 रह गई थी। आत्महत्या के 90 फीसद मामलों में जवान छुट्टी से लौटने के 10-15 दिनों के भीतर ऐसा कठोर कदम उठा लेता है।

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