भाई-बहन की मोहब्बत, साथ जिए और एक साथ उठा जनाजा
एक ही घर में पैदा हुए, बचपन साथ बीता। पले-बढ़े भी साथ-साथ। जवान हुए तब भी साथ कायम रहा। बुढ़ापा आया तो भी साथ नहीं छूटा। यहां तक कि मौत आई तो भी साथ आई। जनाजा भी साथ उठा और कब्र भी अगल-बगल बनीं। पीली कोठी के रहने वाले बहन-भाई की यह मोहब्बत लोगों के लिए तो मिसाल रही ही, कुदरत ने भी उस पर मुहर लगा दी। लोग
वसीम अख्तर, बरेली। एक ही घर में पैदा हुए, बचपन साथ बीता। पले-बढ़े भी साथ-साथ। जवान हुए तब भी साथ कायम रहा। बुढ़ापा आया तो भी साथ नहीं छूटा। यहां तक कि मौत आई तो भी साथ आई। जनाजा भी साथ उठा और कब्र भी अगल-बगल बनीं। पीली कोठी के रहने वाले बहन-भाई की यह मोहब्बत लोगों के लिए तो मिसाल रही ही, कुदरत ने भी उस पर मुहर लगा दी।
लोग हैरान हैं-एक साथ इतने इत्तेफाक हुए। नसीम अहमद खां (60) और उनकी छोटी बहन नईम खानम 'पप्पो' का ताल्लुक मुहल्ला जसोली के जमींदार खानदान से है। करीब डेढ़ हजार गज वाली यहां कि मशहूर पीली कोठी उनके वालिद समी खां की है। नसीम अहमद खां ने शादी की, दो बच्चे भी हुए, लेकिन बीवी से अलगाव हो गया। बहन ने भाई से मोहब्बत का नमूना पेश करते हुए शादी नहीं की। दोनों बच्चों की परवरिश की। दानिश और आसिफ को मां की कमी का अहसास तक नहीं होने दिया।
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सुख-दुख, परेशानी-बीमारी, गर्ज यह कि हर कदम पर बहन के फर्ज को अंजाम दिया। बदले में भाई भी अपनी इस बहन से बेपनाह मोहब्बत करते थे। हर तरह से उनका ख्याल रखना, आदत में शामिल था। मुहल्ले के लोग उनकी इस मोहब्बत के कायल थे। दूर तक चर्चा होती थी। यह चर्चा उस वक्त और तेज हो गई, जब शनिवार को पहले बहन की बेग हॉस्पिटल में मौत हुई। उन्हें किडनी खराब होने पर भर्ती कराया गया था। बहन की सांसें उखड़ने के 10 मिनट बाद ही भाई ने दम तोड़ दिया। एक साथ मौत से साफ हो गया-अल्लाह ने उनकी किस्मत में जुदाई नहीं लिखी थी। साथ-साथ घर से जनाजा निकला और माई का तकिया स्थित कब्रिस्तान में साथ ही दफन हुए। कब्र भी आसपास बनीं।
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