अंग्रेज विद्वान ने 1874 में खोजा था विलुप्त सरस्वती को
आज हम भले ही सरस्वती नदी की खोज का श्रेय लें, लेकिन इतिहास में झांक कर देखें तो 1874 में ही अंग्रेज विद्वानों ने विलुप्त सरस्वती को खोज निकाला था। एक अंग्रेज विद्वान सीएफ ओल्डहम का 'भारत के रेगिस्तान में खोई हुई सरस्वती एवं अन्य नदियां' नामक लेख एक शोध
कुरुक्षेत्र, [बृजेश द्विवेदी] । आज हम भले ही सरस्वती नदी की खोज का श्रेय लें, लेकिन इतिहास में झांक कर देखें तो 1874 में ही अंग्रेज विद्वानों ने विलुप्त सरस्वती को खोज निकाला था। एक अंग्रेज विद्वान सीएफ ओल्डहम का 'भारत के रेगिस्तान में खोई हुई सरस्वती एवं अन्य नदियां' नामक लेख एक शोध पत्रिका में छपा था। उसके बाद तो समय-समय पर कई वैज्ञानिकों ने सरस्वती नदी पर शोध किया और यह कार्य आगे बढ़ता रहा।
भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद इतिहास के अध्ययन के साथ-साथ वैदिक साहित्य के अध्ययन का कार्य प्रारंभ हुआ। 1874 में सर विलियम जॉस ने वैदिक साहित्य का अध्ययन किया और बताया कि संस्कृत, जर्मन, लैटिन, अंग्रेजी इत्यादि भाषाएं इंडोआर्यन भाषा से ही निकली है। इससे पता चलता है कि इन सभी भाषाओं की जननी एक है, जिसमें संस्कृत सबसे पुरानी है।
इसके बाद 1874 में सीएफ ओल्डहम नामक विद्वान ने प्राचीन खोई हुई नदियों के बारे में विस्तार से एक लेख लिखा जो रेगिस्तान में खो जाती थी। 1893 में पुन: ओल्डहम ने 'दि सरस्वती एंड दी लास्ट रिवर्स आफ दी इंडियन डिजर्ट (भारत के रेगिस्तान में खोई हुई सरस्वती एवं अन्य नदियां) नामक उनका लेख रॉयल एशिएटिक सोसायटी के शोध पत्रिका में छपा।
हरसैक ने ढूंढ़ा सरस्वती का चैनल
हिसार। लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के चैनल की खोज हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (हरसैक) ने की थी और इसके मैप भी बनाए थे। हरसैक की रिपोर्ट पर ही सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) ने कार्रवाई शुरू की थी।
सीजीडब्ल्यूबी ने खोदाई की तो कुछ फीट नीचे ही पानी निकल गया। इन पुराने चैनल का मैप हरसैक ने जमीन में नमी मिलने पर बनाया था। हरसैक की खोज में आदिबद्री से निकली सरस्वती के चैनल हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद की तरफ से भी निकले। हरसैक को लुप्त हो चुके चैनल को ढूंढ़ने का प्रोजेक्ट दिया गया था।