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Brexit: रोजगार के लिए भारतीय मूल के लोगों में चिंता और भय

यूरोपियन संघ से ब्रिटेन के हटने के बाद ब्रिटेन या वहां से संबंधित रोजगार वाले भारतीय नागरिक चिंतित हैं।

By Monika minalEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2016 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2016 02:52 PM (IST)
Brexit: रोजगार के लिए भारतीय मूल के लोगों में चिंता और भय

नई दिल्ली। ब्रिटेन ने 28 देशों वाले यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला कर लिया। भारत के ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों के साथ कारोबारी संबंध हैं। ऐसे में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के फैसले से वहां भारतीय मूल के लोगों में रोजगार के प्रति चिंता और भय व्याप्त है।

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तमिलनाडु निवासी लोगानाथन गनेशन ब्रिटेन में फ्रीलांस पत्रकार हैं। उन्होंने कहा कि उनकी नौकरी दांव पर लगी थी क्योंकि जनमत संग्रह से जर्मनी में कंपनी का मुख्यालय प्रभावित होगा। ब्रिटिश नागरिक से शादी कर वे 2015 में वहीं बस गए।

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लीड्स निवासी ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को काफी मुश्किलें हो सकती हैं। ब्रिटेन में बसने की चाहत अब शायद खत्म हो जाए।‘ ब्रिटेन में चार लाख से अधिक तमिल हैं- करीब 3.5 लाख श्रीलंकाई और बाकी के तमिलनाडु मूल के नागरिक। ब्रिटेन के वोट से भारत के फ्लैगशिप आइटी सेक्टर को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दोनों यूरोप और ब्रिटेन में मुख्यालय की स्थापना, जिससे कंपनियों के लिए भूमि के ऊपर बढ़ती लागत शामिल होगा।

सॉफ्टवेयर मैनेजर तृप्ति पटेल ने कहा, ‘नौकरियों के प्रति अनिश्चितता बढ़ेगी क्योंकि यह खबर पहले ही फैल चुकी है कि ब्रिटेन में कुछ फिनांशल फर्म अपना ऑपरेशन बंद करने की सोच रहे हैं।‘ ब्रिटेन में 17 फीसद भारतीय आइटी सेक्टर का 100 बिलियन डॉलर यानि 6.70 लाख करोड़ से अधिक एक्सपोर्ट है।

इस रिफरेंडम ने 20,000 गोवा के लोगों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिया जिन्होंने ब्रिटेन में काम के लिए पुर्तगीज सिटीजनशिप लिया है।

स्विंडन निवासी एन सिल्वा ने कहा, ‘इनमें से अधिकांश वेयरहाउसेज व फैक्ट्री में मैनुअल जॉब्स करते हैं। डेस्क जॉब करने वाले मात्र 5 फीसद गोवा निवासी हैं।‘ अधिकांश गोवा वासी स्विंडन, लिसिस्टर सिटी और लंदन में बसे हैं।

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8 लाख गुजराती मूल के लोग ब्रिटेन में हैं और ये रिफरेंडम पर दो मत में विभाजित हो गए। बिजनेस करने वाले युवा गुजरातियों ने यूरोपियन संघ में रहने के लिए वोट किया जबकि छोटे एंटरप्राइजेज चलाने वाली पुरानी पीढ़ी ने बाहर जाने का पक्ष लिया। इस्ट लंदन में कैब सर्विस प्रोवाइडर, फकीर डुंगरिया ने कहा, भारतीयों को इससे फायदा होगा क्योंकि हर चीज का मूल्य कम हो जाएगा।


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