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लड़का अगर जेल न गया हो तो नहीं हो पाएगी शादी !

जेल जाने पर आखिर किसे खुशी मिलती है? आमतौर पर अपराध करने के बाद जेल जाना किसी अपराधी के लिए बुरे सपने जैसा होता है, लेकिन छारा गैंग का प्रतीक इसे खास उपलब्धि मान रहा है और बहुत खुश है। उसके मन में शादी के लड्डू फूट रहे हैं। समुदाय

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 01:57 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 01:58 PM (IST)
लड़का अगर जेल न गया हो तो नहीं हो पाएगी शादी !

सतीष पाण्डेय, रायपुर। जेल जाने पर आखिर किसे खुशी मिलती है? आमतौर पर अपराध करने के बाद जेल जाना किसी अपराधी के लिए बुरे सपने जैसा होता है, लेकिन छारा गैंग का प्रतीक इसे खास उपलब्धि मान रहा है और बहुत खुश है। उसके मन में शादी के लड्डू फूट रहे हैं। समुदाय की परम्परा के अनुसार जेल से छूटने के बाद शादी का उसका अरमान पूरा हो जाएगा।

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बड़ी निर्दयता से लोगों के साथ ठगी और उठाईगीरी करने वाले छारा गैंग के गिरफ्त में आने के बाद इस प्रोफेशनल गैंग के बारे में बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। लोगों की गाढ़ी कमाई ठगने में जब तक इस समुदाय का युवा पारंगत नहीं हो जाता, तब तक उसकी शादी नहीं होती और इस कसौटी की परीक्षा है जेल जाना।

पकड़े गए छारा गैंग के सरगना अजय माचरेकर ने पुलिस के सामने खुलासा किया कि ऐसे अपराध को अंजाम देना उसका और उसके समुदाय का पारंपरिक पेशा है। गुजरात के उसके गांव कुबेरनगर-नवखोली थाना सरदारनगर में उसी के समुदाय के लोग रहते हैं और वर्षों से ठगी, उठाईगीरी का पुस्तैनी पेशा करते आ रहे हैं। उसके गांव में हर घर का एक आपराधिक रिकॉर्ड है।

इंटर स्टेट गैंग के सरगना ने नईदुनिया को बताया कि उसके समुदाय में आपसी सामंजस्य बहुत तगड़ा है। वे लोग मिलकर पूरे देश में जगह-जगह अपराध करते हैं। इसके लिए उसके गांव में कम्युनिटी ट्रेनिंग जैसा कार्यक्रम चलाया जाता है। गैंग के हरेक सदस्य को एक विशेष स्किल में पारंगत किया जाता है, जैसे ताला खोलने, लोगों की नजर में आए बिना पलक झपकते हाथों से सामान गायब कर रफूचक्कर होना आदि। हाथ की सफाई का पूरा काम चार टीमें मिलकर करती हैं। हर वारदात को अंजाम देने से पहले टारगेट की रेकी कर एक टॉस्क प्लान किया जाता है।

ऐसे काम करता था ग्रुप

गैंग के सदस्य प्रतीक व विजय दोपहिया की डिक्की खोलने में एक्सपर्ट हैं। दूसरे ग्रुप में गैंग लीडर अजय, चंद्रकांत डिस्कवर बाइक से टारगेट पर नजर रखते थे। जब टारगेट तय हो जाता था तब अजय अपने सिर के बाल खुजा कर पहले ग्रुप मेम्बर को टारगेट को चिन्हित करा देता था। इसके बाद पहला ग्रुप शिकार के पीछे लग जाता था। उसके पीछे दूसरा ग्रुप कवर करते हुए चलता था।

जैसे ही टारगेट कोई लापरवाही बरतता था, करीब में मौजूद प्रतीक या विजय अपने पास रखे औजार से चंद सेकंड में डिक्की खोलकर रकम उड़ा लेता था। कुछ दूर पर रुपए को तीसरे ग्रुप के हवाले कर पहला ग्रुप निकल जाता था। इस गैंग को यदि महसूस होता है कि टारगेट अपने गंतव्य पर दोपहिया खड़ी कर रहा है तो गिरोह उसे पता पूछने के बहाने कुछ दूर तक पैदल बुला लेता, इसी बीच पीछे मौजूद ग्रुप डिक्की से पैसा निकालकर रफूचक्कर हो जाता था।

डिक्की खोलकर दिखाया

एक्टीवा की डिक्की खोलने में माहिर प्रतीक पानवेकर (18) ने नईदुनिया के सामने डेमो किया। उसने बताया कि इस कलाकारी को सीखने के लिए उसने वाहन गैराज में काम किया और वहीं से अलग-अलग वाहनों की डिक्की को खोलने का हुनर सीखा। एक्टीवा, स्कूटी की डिक्की खोलना आसान होने से यह गैंग बैंक से बड़ी रकम लेकर एक्टीवा की डिक्की में रखने वाले ग्राहक को ही टारगेट में लेता था। गैंग में डैमेज कंट्रोल के लिए हर एक सदस्य का विकल्प भी तैयार किया जाता है। प्रतीक अपने नीचे एक नए लड़के को डिक्की खोलने के हुनर में ट्रेंड भी कर रहा था।

आसान टारगेट मानकर चले थे, लेकिन पकड़े गए

उठाईगीरी और ठगी में माहिर छारा गैंग ने महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, आंध्रा समेत कई राज्यों में दर्जनों ठगी और उठाईगीरी की वारदात को अंजाम दिया है, लेकिन आज तक उन राज्यों में नहीं पकड़ा गया। पहली बार छत्तीसगढ़ को आसान टारगेट मानकर गैंग ने जून में यहां दस्तक दी और अगस्त तक सिलसिलेवार दर्जनभर वारदात की। शहर में सुबह से रात 8 बजे तक गैंग से सदस्य नए टारगेट की तलाश में पैदल घूमते रहते थे।

धार्मिक स्थलों की चेकिंग न होने का उठाया फायदा

यह गैंग वारदात के बाद धार्मिक स्थलों पर आकर रुकता था। चंपारण और रतनपुर को ठिकाना बनाकर ठहरे इस गैंग की भनक इसलिए पुलिस को नहीं लगी क्योंकि पुलिस बड़ी से बड़ी वारदात होने के बाद भी कभी भी धार्मिक स्थलों की चेकिंग नहीं की। गैंग के सरगना ने बताया कि वारदात के बाद गैंग के सदस्य वाहनों को पार्किंग स्थल पर खड़ा कर पैदल घूमते नए टारगेट की तलाश में लग जाते थे, इसलिए पुलिस की निगाह से बच निकलते थे।

पैदल घूमता था पूरा गैंग, इसलिए बच निकलता था

किसी भी वारदात के बाद नाकेबंदी के दौरान पुलिस आने-जाने वाले वाहनों की एक से दो घंटे तक चेकिंग करती थी। इस बीच पूरा गैंग आराम से पैदल घूमता-फिरता रहता था। पुलिस अफसरों का कहना है कि छारा गैंग के वारदात के तौर-तरीके ने पहली बार चौंकाया है। इस गैंग से सबक लेते हुए राजधानी पुलिस अब नाकेबंदी और वाहनों की जांच-पड़ताल के पुराने पैटर्न में बदलाव करने के साथ ही धार्मिक स्थलों की भी जांच करने की तैयारी की है।

चेकिंग का पैटर्न बदलेगा

पुलिस अफसरों ने बताया कि गैंग के तीन सदस्य जयंद्र बजरंगी, पवन भाई तथा सतीश नाथा परमार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। बाकी सरगना समेत 7 सदस्यों को 7 सितम्बर तक पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पुलिस टीम एक-दो दिनों में गैंग के सदस्यों को लेकर अहमदाबाद और नागपुर जाएगी, जहां से हवाला के जरिए भेजे गए 30 लाख रुपए बरामद करने की कोशिश करेगी।

एक्टीवा, स्कूटी की डिक्की खोलना हर किसी के बस की बात नहीं है। ट्रेंड व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है। गिरफ्त में आए गैंग के कारनामे को देखते हुए वाहन निर्माता कंपनी को इसकी जानकारी देकर डिक्की के लॉक सिस्टम में बदलाव का सुझाव देंगे। - कैलाश खेमानी, संचालक सिटी होंडा

जिस तरीके से राजधानी में छारा गैंग ने वारदातों को अंजाम दिया है, उसे देखकर पुलिस को अलर्ट होकर अब नाकेबंदी के पुराने तरीके में बदलाव करने की जरूरत है। इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। - बद्रीनारायण मीणा, एसपी


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