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कर्ज न चुकाने पर प्रताड़ना आत्महत्या के लिए उकसावा : बांबे हाईकोर्ट

बांबे हाइकोर्ट ने साफ कर दिया है कि कर्जदारों पर कर्जदाता मौखिक या शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं कर सकते हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sun, 02 Apr 2017 08:21 PM (IST)Updated: Sun, 02 Apr 2017 08:32 PM (IST)
कर्ज न चुकाने पर प्रताड़ना आत्महत्या के लिए उकसावा : बांबे हाईकोर्ट
कर्ज न चुकाने पर प्रताड़ना आत्महत्या के लिए उकसावा : बांबे हाईकोर्ट

मुंबई, प्रेट्र । बांबे हाईकोर्ट ने दो कर्जदाताओं की अर्जी को खारिज कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कर्ज न अदा कर पाने पर कर्जदार से लगातार मौखिक और शारीरिक दु‌र्व्यवहार आत्महत्या के लिए मजबूर करना ही है।

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जस्टिस एएम बदर ने लाइसेंसशुदा कर्जदाता गुरुनाथ गवली और संगीता गवली की याचिका की सुनवाई की। इन दोनों ने उन पर लगे आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले को हटाने के लिए अपील की थी। दोनों पर सितंबर 2014 में नगर निवासी उमेश बोमब्ले को कर्ज न चुकाने पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था। मृतक की पत्नी सुनीता ने इन दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। पीडि़त ने आरोपी से 19 लाख रुपये का कर्ज लिया था और चुकाने में नाकाम रहा था। उसके बाद कर्जदाताओं ने उसे समय-समय पर अपशब्द कहना और मारपीट करना शुरू कर दिया।

जस्टिस बदर का कहना है कि एक सभ्य परिवार के व्यक्ति के साथ जब हर दिन ऐसा दु‌र्व्यवहार किया जाएगा तो वह एक न एक दिन आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगेगा। किसी परिवार वाले आदमी को उसके घर पर परिवार के सामने और दफ्तर में हरेक दिन प्रताडि़त किया जाएगा तो इसे आत्महत्या के लिए प्रताडि़त करना ही कहा जाएगा।

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