सहमति से विवाद सुलझाए सिंघानिया परिवार: बांबे हाई कोर्ट
जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा, 'ऐसा मामला सीधे अदालत नहीं आना चाहिए। यह विवाद पिता और पुत्र के बीच है।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने मशहूर उद्योगपति विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया को आपसी सहमति से संपत्ति विवाद सुलझाने को कहा है। गौतम रेमंड लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हैं। विजयपत रेमंड के सभी शेयर बेटे के नाम कर चुके हैं और बेटे ने उन्हें किराए के घर में रहने पर मजबूर कर दिया है।
78 वर्षीय विजयपत सिंघानिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने बेटे पर परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति विवाद में मध्यस्थता का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया है। रेमंड लिमिटेड ने दक्षिण मुंबई में स्थित जेके हाउस भवन में उन्हें डुप्लेक्स पर कब्जा नहीं सौंपा है।
जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा, 'ऐसा मामला सीधे अदालत नहीं आना चाहिए। यह विवाद पिता और पुत्र के बीच है। प्रयास करें और सहमति से इसका समाधान निकालें।' विवाद में सभी पक्षों के वकीलों ने कहा कि उन्हें अदालत का सुझाव मंजूर है।
क्या है मामला
1960 में बना जेके हाउस 14 मंजिला भवन है। इसमें चार डुप्लेक्स 2007 में रेमंड की सहायक पशमिना होल्डिंग्स को दे दिए गए थे। कंपनी ने इनका फिर से विकास करवाया। विजयपत सिंघानिया और गौतम के बीच हुए समझौते के मुताबिक, वीणादेवी (विजयपत के भाई अजयपत की विधवा), वीणा के बेटों अनंत व अक्षयपत में से प्रत्येक को 5185 वर्गफीट के डुप्लेक्स मिलने थे।
थर्ड पार्टी राइट पर रोक
अदालत ने 22 अगस्त तक सुनवाई रोकते हुए कहा कि रेमंड दो फ्लोर में कोई थर्ड पार्टी राइट (बेचना या लीज पर देना) तैयार नहीं करेगा। यह विवाद में है और अगले आदेश तक इसपर रोक लगी रहेगी।
विजयपत सिंघानिया का आरोप
मशहूर कारोबारी ने बेटे गौतम पर जेके हाउस में बड़े क्षेत्र पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वह इसके लिए अधिकृत नहीं है। उन्होंने कहा है कि डुप्लेक्स पर कब्जा हासिल करने के लिए रेमंड उनकी ओर से भुगतान की पेशकश का जवाब नहीं दिया है। यही कारण है कि उन्हें अदालत आना पड़ा है।
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