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ट्रेनों के लोको केबिन में लगेंगे विमान जैसे ब्लैक बॉक्स

ट्रेनों के लोको पायलट केबिन में विमानों की भांति ब्लैक बॉक्स लगाए जाएंगे।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 12 Feb 2018 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 08:42 PM (IST)
ट्रेनों के लोको केबिन में लगेंगे विमान जैसे ब्लैक बॉक्स
ट्रेनों के लोको केबिन में लगेंगे विमान जैसे ब्लैक बॉक्स

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हादसों की वजह जानने के लिए रेलवे अब एयरलाइनों की तरकीब अपनाएगा। इसके तहत लोको पायलट केबिन में विमानों की भांति ब्लैक बॉक्स लगाए जाएंगे। ताकि ड्राइवर की बातचीत और कार्यप्रणाली की आडियो-विजुअल रिकार्डिग के जरिए दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाया सके।

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पिछले महीने सभी जोनों को जारी परिपत्र में रेलवे बोर्ड ने इस निर्णय की जानकारी दी है। पत्र में 28 दिसंबर, 2017 को हुई बोर्ड की उस बैठक का हवाला दिया गया है जिसमें संरक्षा संबंधी टास्क फोर्स के सुझावों पर कुछ निर्णय लिए गए थे। इनमें एक निर्णय एयरक्राफ्ट कॉकपिट की तरह ट्रेनों के लोको और मोटर कैब में आडियो-विजुअल रिकार्डर लगाने के संबंध में था। इसे लागू करने का जिम्मा मेंबर रोलिंग स्टॉक को सौंपा गया है।

परिपत्र के अनुसार ड्राइवर केबिन को एयरकंडीशंड करने के टास्क फोर्स के सुझाव को बोर्ड ने तुरंत स्वीकार करने में असमर्थता जताई है। उसका मानना है कि इसके लिए सभी सिगनलों को दुरुस्त करने के साथ-साथ फ्लैशर लाइटें लगाने और जी एंड एसआर को संशोधित करने जैसे कई उपाय करने पड़ेंगे। हालांकि सभी रनिंग रूम को एयरकंडीशंड करने, लोको पायलटों को उनके मुख्यालयों में आवास उपलब्ध कराने और ट्रैकमैन के सभी खाली पद भरने के टास्क फोर्स के सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है।

टास्क फोर्स के कई अन्य सुझावों को बोर्ड ने मान लिया है। इनमें लोको पायलटों को प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त इंस्टीट्यूट भेजने, जीएम तथा डीआरएम के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार बढ़ाने, प्रत्येक जोन में कम से कम एक सिमुलेटर युक्त लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर खोलने तथा संरक्षा कार्यो से जुड़े ठेकेदारों के कर्मचारियों को हर हाल में चमकीले जैकेट, क्रैश हेलमेट, इंडस्टि्रयल बूट, सेफ्टी बेल्ट आदि उपलब्ध कराने के सुझाव शामिल हैं।

परंतु नए लोको पायलटों की भर्ती में डिप्लोमा होल्डर की न्यूनतम योग्यता का पैमाना रखे जाने का सुझाव बोर्ड ने नहीं माना है। ट्रैक फिटिंग की खरीद का अधिकार डिवीजनल स्टोर अफसरों को दिए जाने के सुझाव से भी बोर्ड असहमत है। इसी तरह बाहरी विशेषज्ञों की मदद से लोको पायलटों की सतर्कता और थकान के स्तर का पता लगाने तथा सिगनल बिंदु पार करने (सिगनल पासिंग एड डैंजर-स्पैड) के दोषी लोको और असिस्टेंट लोको पायलटों को भविष्य में कभी भी रनिंग ड्यूटी न दिए जाने की सिफारिश भी बोर्ड को अव्यावहारिक लगी है। सेक्शन अफसरों का तबादला दूसरे स्टेशन पर करने का सुझाव खारिज कर दिया गया है।

इस बीच संरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए रेलवे बोर्ड अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने सभी कर्मचारियों को पत्र लिख उस ऐप का उपयोग करने को कहा है जिसे दुर्घटना के जोखिम की सूचना देने के लिए तैयार किया गया है। कोई भी रेलकर्मी इसके जरिए रेल प्रशासन को इस बात की सूचना दे सकता है कि अमुक जगह पर ट्रैक टूटा या खराब है या होने को है, अमुक कर्मचारियों की लापरवाही से अमुक सिगनल खराब है या हो सकता है आदि।


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